Wednesday, May 22, 2013

क्या वाकई इंदिरा ने लूट लिया था गायत्री देवी का खजाना

1975 में जब देश में आपातकाल लागू हुआ तो जयपुर की महारानी गायत्री देवी ने इसका खुलकर विरोध किया। गायत्री देवी के विरोध का परिणाम यह हुआ कि इंदिरा गांधी ने आयकर विभाग को राजघराने की संपत्ति की जांच के आदेश दे दिए। संपत्ति की जांच में सेना भी लगाई गई। तीन महीने तक जयगढ़ के किले को खंगालने के बाद जयपुर दिल्ली राजमार्ग को सील कर दिया गया। कहा जाता है कि इसी मार्ग से होकर सेना के वाहन गायत्री देवी का खजाना लेकर दिल्ली गए।
राजस्थान की राजशाही के इतिहास पर नजर रखने वाले लोग बताते हैं कि अकबर के दरबार में सेनापति रहे जयपुर के राजा मानसिंह (प्रथम) ने शहंशाह के आदेश पर अफगानिस्तान पर धावा बोला था। फतह हासिल करने के बाद मानसिंह के हाथ काफी धन दौलत और हीरे जवाहरात लगे। मानसिंह ने खजाने को अकबर को सौंपने के बजाय अपने पास ही रख लिया। इस घटना के बाद ये चर्चा चलने लगी कि राजघराने ने खजाने को कहीं छिपाकर रखा है। जयगढ़ किले के निर्माण के बाद कहा जाने लगा कि इसमें बनी पानी की विशालकाय टंकियों में सोना-चांदी और हीरे-जवाहरात छिपा कर रखे गए हैं। जयगढ़ किले में खजाने के छिपे होने की चर्चा आजादी के बाद भी चलती रही। इस समय जयपुर राजघराने के प्रतिनिधि राजा सवाई मान सिंह (द्वितीय) और उनकी पत्नी गायत्री देवी थे। 'स्वतंत्र पार्टी' के सदस्य होने के चलते ये दोनों लोग कांग्रेस के विरोधी थे।
गायत्री देवी का जन्म कूचबिहार (बंगाल) के पूर्व महाराजा जितेन्द्र नारायण भूप बहादुर के परिवार में 23 मई 1919 को लंदन में हुआ। उनकी शिक्षा शांतिनिकेतन, लंदन और स्विट्जरलैण्ड में हुई। 19 साल की उम्र में उनका विवाह जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय से हुआ था। सवाईमान सिंह ने तीन शादियां की थी। उन्होंने तीसरी शादी गायत्री देवी से की थी। वो 1939-1970 तक जयपुर की महारानी रहीं। सवाई मानसिंह द्वितीय जयपुर के अंतिम राजा थे। स्वतंत्रता के बाद सभी राजवंशों का राजस्थान में विलय हो गया था।
महारानी गायत्री देवी ने 1962 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और स्व. राजगोपालाचार्य द्वारा संस्थापित स्वतंत्र पार्टी की राज्य शाखा की अध्यक्ष बनी। वह 1962, 1967 और 1971 के चुनावों में जयपुर संसदीय क्षेत्र से स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुनी गर्इं। वर्ष 1962 के चुनावों में उन्हें समूचे देश में सर्वोच्च बहुमत से चुनाव में विजयी होने का गौरव प्राप्त हुआ। चुनाव में उन्हें कुल 2 लाख 46 हजार 516 में से रिकॉर्ड 1 लाख 92 हजार 909 वोट प्राप्त हुए। वर्ष 1977 में राज्य में गैर कांग्रेसी सरकार बनने पर आपको राजस्थान पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
महारानी गायत्री देवी को वोग मैग्जीन ने दुनिया की 10 सबसे सुंदर महिलाओं की सूची में शामिल किया था। राजस्थान में पोलो को बुलंदियों तक पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका रही। जयपुर में सामाजिक सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गायत्री देवी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। कला-संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान सराहनीय रहा।
उनका जनता के साथ सीधा संवाद था। वे जयपुर के महारानी गायत्री देवी पब्लिक स्कूल की संस्थापक अध्यक्ष होने के साथ ही महाराजा सवाई बेनीवोलेंट ट्रस्ट, महारानी गायत्री देवी सैनिक कल्याण कोष, सवाई मानसिंह पब्लिक स्कूल और सवाई रामसिंह कला मंदिर की भी अध्यक्ष थीं। वह अखिल भारतीय लान टेनिस एसोसिएशन और अखिल भारतीय स्वतंत्र पार्टी की उपाध्यक्ष भी रहीं। वह महाराजा जयपुर म्यूजियम ट्रस्ट की ट्रस्टी भी थीं। गायत्री देवी केवल जयपुर की महारानी ही नहीं थीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय शख्सियत थीं। उनकी ए पिंरसेस रिमेम्बर्स तथा ए गवनर्मेंट्स गेट वे" नामक पुस्तकें अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी हैं।
गायत्री देवी का निधन 90 वर्ष की उम्र में 29 जुलाई 2009 संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में हो गया।


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