Wednesday, July 10, 2013

1448 माननीयों की सदस्यता खतरे में

नई दिल्ली। राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के एतिहासिक फैसले के बाद उन नेताओं पर तलवार लटक गई है जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित है। शायद ही कोई ऐसी पार्टी है जिसमें अपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता न हों।
नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन आॅफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के करीब 31 फीसदी माननीयों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्य शामिल हैं।
एनईडब्ल्यू और एडीआर के मुताबिक 1448 विधायकों, सांसदों, विधान परिषद के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। इन्होंने चुनाव लड़ते वक्त चुनाव आयोग में जो हलफनामे दिए थे उनमें अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का जिक्र किया था। यह रिपोर्ट राष्ट्रपति चुनाव के वक्त जारी की गई थी।
एनईडब्ल्यू और एडीआर 1200 सिविल सोसायटी समूहों का नेतृत्व करने वाली बॉडी है। जो पिछले कई साल से भारत में चुनाव, लोकतंत्र और शासन में सुधार पर काम कर रही है। एनईडब्ल्यू और एडीआर ने कुल 4835 सदस्यों की ओर से दाखिल हलफनामों का अध्ययन किया था। इनमें 772 सांसद और सभी राज्यों के 4063 विधायक और विधान परिषद सदस्य शामिल थे। अध्ययन में खुलासा हुआ कि 1448 के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। ए कुल 4835 का 31 फीसदी है।
1448 में से 641 के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, बलात्कार, डकैती, अपहरण और फिरौती जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। छह सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने हलफनामों में रेप के आरोपों का जिक्र किया है। 141 विधायकों, सांसदों और विधान परिषद सदस्यों पर हत्या के आरोप हैं। 352 पर हत्या की कोशिश के,145 पर चोरी के,90 पर अपहरण के और 75 पर डकैती के आरोप हैं। 

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