Wednesday, July 10, 2013

युवाओं में गर्भनिरोधक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर सरकार का ध्यान

नई दिल्ली। साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र विश्व जनसंख्या दिवस का पूरा ध्यान जब किशोरियों के गर्भवती होने की समस्या के निदान पर है, ऐसे में भारत का मकसद अपनी युवा आबादी से जुड़ाव कायम कर दो बच्चों के पैदा होने के बीच के अंतराल को परिवार नियोजन के उपाय के तौर पर बढ़ावा देना है ताकि सभी राज्यों में कुल प्रजनन दर 2.1 हो सके ।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पहली दफा ऐसी महिलाओं को पोस्ट पार्टम इंट्रा-यूटरिन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी) देना शुरू किया है जो सरकारी अस्पतालों में बच्चे को जन्म देती हैं । 
गौरतलब है कि पोस्ट पार्टम आईयूसीडी बच्चों के बीच अंतराल का एक उपाय है और इसे बच्चे के जन्म के 48 घंटों के भीतर महिला को दिया जाता है। देश भर में होने वाले कुल 2.6 करोड़ प्रसव में से 1.25 करोड़ सरकारी अस्पतालों में होते हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 3 के मुताबिक, भारत में 47 फीसदी लड़कियां 18 साल की उम्र से पहले ब्याह दी जाती हैं और जल्द शादी होने के कारण वह जल्द गर्भधारण करती हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक, 15-19 की उम्र की महज 7 फीसदी लड़कियां गर्भनिरोधक इस्तेमाल करती हैं। 
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक और स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अनुराधा गुप्ता ने कहा, ‘जहां प्रसव के ज्यादा मामले आते हैं, वहां हमने पहले से ही आईयूसीडी देना शुरू कर दिया है । सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसे 16000 प्रसव केंद्र हैं जहां अच्छी-खासी संख्या में प्रसव होते हैं और जो इस कार्यक्रम के दायरे में आते हैं । अभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ये सुविधा दी जा रही है । आगे हमारा लक्ष्य इसे जिला अस्पतालों और अन्य उप-केंद्रों तक पहुंचाना है।’

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