Wednesday, July 10, 2013

दो साल में और चढ़ा भ्रष्टाचार का ग्राफ


  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट
  • रिश्वत को भी माना बेहद आम
  • करप्शन में नेता के बाद पुलिस
  • न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार

:अदिति खन्ना:
लंदन। भारत में भ्रष्टाचार को खत्म करने में राजनीतिक दलों और सरकारी मशीनरी की विफलता की एक बड़ी मिसाल एक सर्वेक्षण के जरिए फिर से सामने आई है जिसमें कहा गया है कि देश में भ्रष्टाचार का ग्राफ पहले के मुकाबले ज्यादा ऊंचा हो गया है।
‘ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल’ के वार्षिक सर्वेक्षण ‘ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर 2013’ में यह दावा किया गया है। इस सर्वेक्षण में 107 देशों के 114,270 लोगों से बातचीत की गई और फिर इसके आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई ।
भारत में जिन लोगों पर सर्वेक्षण किया गया उनमें से 70 फीसदी ने माना कि देश में बीते दो साल के दौरान भ्रष्टाचार बढ़ गया है, जबकि वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार बढ़ना मानने वालों का आंकड़ा 53 फीसदी रहा।
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत क्षेत्र की प्रबंधक रुखसाना नानायाकारा ने कहा, ‘भारत न सिर्फ इस क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर एक ऐसा देश है जहां पर लोगों को भ्रष्टाचार की समस्या का मुकाबला करने को लेकर सरकार में भरोसा नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल 68 फीसदी भारतीय नागरिकों ने कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा नहीं है कि सरकार इस समस्या से लड़ने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है।’
सर्वेक्षण के अनुसार भारत घूसखोरी के मामले में भी काफी आगे हैं। यहां दो में से एक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसने पिछले 12 महीनों के दौरान सरकारी संस्थाओं और सेवाओं में पहुंच की एवज में रिश्वत दी। फीसदी में बात करें तो यह आंकड़ा 54 फीसदी का है। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा गिरकर 27 फीसदी रह जाता है। लोगों ने राजनीतिक दलों को सबसे अधिक भ्रष्ट संस्था करार दिया। इसके बाद की सबसे भ्रष्ट संस्थाओं में पुलिस और न्यायपालिका को रखा।
रुखसाना ने कहा, ‘मैं सोचती हूं कि भारत में 86 फीसदी लोगों का मानना है कि राजनीतिक दल भ्रष्ट हैं। यह सरकार की अक्षमता की ओर इशारा करता है जो इस समस्या का निवारण करने में विफल साबित हुई है।’

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