Saturday, April 27, 2013

बलात्कार के एक लाख अभियुक्त 'बाइज्जत बरी'


दो तिहाई मामलों में नहीं मिलते सबूत

नई दिल्ली। भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के अलावा अभियुक्तों के विरुद्ध पुख्ता सबूत न होने की वजह से भी उनकी रिहाई हो जाती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2001 और 2010 के बीच एक लाख चालीस हजार से भी ज्यादा दर्ज किए इस तरह के मामलों में से कम से कम एक लाख ऐसे अभियुक्त थे, जिन्हें प्रमाण के अभाव में निर्दोष करार दिया गया।
इस एक लाख में 14,500 से भी ज्यादा मामले ऐसे थे, जिनमे अभियुक्तों के खिलाफ नाबालिग लड़कियों का बलात्कार करने का आरोप था। करीब 9,000 ऐसे भी मामले थे, जिन्हें पुलिस की प्रारंभिक जांच के बाद बंद करना पड़ा।
एनसीआरबी के अनुसार बलात्कार के मामलों में आंकड़े साल 1971 के बाद से ही उपलब्ध हैं। 1971 में जहां इस तरह के 2,487 मामले दर्ज किए गए थे वहीं 2011 में दर्ज किए गए मामलों की संख्या 24,206 थी यानी 873% से भी ज्यादा की बढोत्तरी!
शायद यही वजह है कि ट्रस्ट लॉ नामक थॉमसन रायटर्स की संस्था ने जी-20 देशों के समूह में भारत को महिलाओं के रहने के लिए सबसे बदतर जगह बताया है।
अपराधों का मामला सिर्फ बलात्कार तक सीमित नहीं है। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के जो आंकड़े 2011 में जारी किए गए हैं, उनमे अपहरण की घटनाएँ 19.4% बढी हैं जबकि 2010 की तुलना में 2011 में महिलाओं की तस्करी के मामलों में पूरे 122% का इजाफा दर्ज किया गया था।।

1 comment:

  1. यह एक सामाजिक विडम्बना ही है जिसमे बलात्कार जैसे अपराधों की संख्या हमारे देश में निरंतर विकट बढोत्तरी हो रही है. इस चिंताजनक स्थिति में सबसे गंभीर तथ्य यह है कि ऐसे अपराधियों में किशोरों का प्रतिशत बढता जा रहा है. पिता, भाई, मामा, चाचा, ससुर जैसे निकट रिश्तेदारों की इन अपराधों में संलग्नता आस्थायों पैर टिके हमारे मूल्य आधारित सामाजिक ताने-वाने को तहस नहस कर रही है.

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