Sunday, April 28, 2013

स्कूल में ‘चूल्हा-चौका’ बंद करने की सिफारिश

संसद की स्थायी समिति डिब्बा बंद आहार के पक्ष में

नई दिल्ली। सरकारी स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने तथा बच्चों को पौष्टिक आहार देने के लिए बनाई गई महत्वाकांक्षी मध्यान्ह भोजन योजना में परिवर्तन के संकेत हैं। संसद की स्थायी समिति ने सुझाव दिया है कि स्कूलों से चूल्हा चौका हटा लिया जाए तथा इसकी बजाय बच्चों को डिब्बा बंद मानक स्तर का पोषण आहार दिया जाए।
गौरतलब है कि मध्याह्न भोजन योजना आरंभ से ही विवादों में घिरी रही है। कभी भोजन में कंकड़-पत्थर तो कभी इल्ली मिलने की शिकायतें की जाती रही हैं। और तो और स्कूल के अध्यापकों के चूल्हा चौका में उलझ जाने के कारण अध्यापन कार्य भी प्रभावित हो रहा था। बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर संसद की एक स्थायी समिति ने बच्चों को डिब्बाबंद आहार वितरित करने का सुझाव दिया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति ने मंत्रालय से कहा है कि वह बच्चों को ऐसा डिब्बाबंद पोषक आहार मुहैया कराने की व्यवहार्यता तलाशे जो योजना के मानकों और स्तर के मुताबिक हो।’
समिति का सुझाव है कि यह कार्य शुरू में कुछ चयनित जिलों में प्रायोगिक आधार पर किया जाना चाहिए ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि यह कितना सफल हो पाएगा।  
राज्यसभा सदस्य आस्कर फर्नांडिस की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है ‘खबरों से संकेत मिलता है कि दिल्ली में भी, स्कूलों में बच्चों को दिए जा रहे भोजन की गुणवत्ता उन मानकों और स्तर के मुताबिक नहीं हैं जो कार्यक्रम के तहत तय किए गए हैं।
सबसे बड़ी चिंता समिति ने इस बात को लेकर जताई है कि सैकड़ों स्कूल शिक्षा का अधिकार कानून के तहत रसोईघर सह भंडारगृह (किचन कम स्टोर्स) सहित आवश्यक अवसंरचना मुहैया कराने के मामले में बहुत पीछे हैं। स्कूलों को ये अवसंरचनाएं तैयार करने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया गया था जो खत्म हो चुका है।

यह है मौजूदा स्थिति

मंत्रालय की खबरों के अनुसार, वर्ष 2006-07 से वर्ष 2012-13 तक 9.55 लाख रसोईघर सह भंडारगृह स्वीकृत किए गए थे जिनमें से केवल 5.99 लाख यानी 63 फीसदी का ही निर्माण हो पाया है। आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में स्वीकृत 75,283 रसोईघर सह भंडारगृहों में से केवल 3,077 का ही निर्माण हुआ है।


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