Thursday, June 6, 2013

सफेद मूसली के नाम पर फर्जी ऋण

रायपुर। औषधीय पौधे सफेद मूसली की सफल खेती के लिए बैंक द्वारा ऋण लिया जाना एवं ऋण की अदायगी न करने की बयानबाजी को झूठा करार करते हुए वनौषधि कृषक राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें एवं अन्य कृषकों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। विगत 8-9 वर्षों से एकतरफा झूठी बयानबाजी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कृषकों के नाम अन्य लोगों ने ऋण लिया और ऋण चुकाया नहीं, जिसमें बैक की भी गहरी संलिप्तता है।
वनौषधि कृषक राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि बैंक ने कृषकों के नाम से हजारों करोड़ रुपए उद्योगें को बांटा। मुनाफे के बावजूद बैंक का ऋण वापस नहीं किया और न ही बैंक उनसे वसूल पाया। अब बैंक बयानबाजी कर रहा है कि वनऔषधि कृषि का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषकों को ऋण दिया। जिसकी अदायगी उन्होंने नहीं की। जबकि पूरे छग में सेंट्रल हर्बल एग्रो मार्केटिंग फेडरेशन के आंकलन के अनुसार लगभग 15 करोड़ रुपए का ऋण वनौषधि कृषि के नाम पर दिया गया जिसका 70 फीसदी भुगतान हो चुका है। उन्होंने कहा कि सफेद मूसली के किसान ठगी के शिकार हुए है जिसमें बैंकों की भी गहरी संलिप्तता रही है। वनौषधि किसानों के नाम पर ऋण लेकर हड़पने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अंतत: इन ठगी के शिकार अधिकांश किसानों की कृषि भूमि नीलाम कर दी गई, केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा घोषित तथा कथित अनुदान आज तक अनेक किसानों को अप्राप्त है।

भूख से हर रोज मरते हैं 25 हजार बच्चे

प्रत्येक सात में एक व्यक्ति भूखा सोता है

कोरबा। विश्व में प्रतिवर्ष 1.3 बिलियन टन खाद्य पदार्थों का नुकसान हो रहा है। विश्व का एक तिहाई खाद्य उत्पादन समाप्त होने के कगार पर है। आज विश्व में एक ओर जहां प्रत्येक सात व्यक्ति में से एक व्यक्ति भूखा सोता है वहीं पिछले 5 वर्ष के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 20 से 25 हजार बच्चे भूख से मरते हैं।
यह खुलासा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा घंटाघर चौक में संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा घोषित थीम सोचो-खोओ-बचाओ अर्थात भोज्य पदार्थों की बरबादी से पहले सोचिए पर आधारित कार्यक्रम में हुआ। क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण अधिकारी आरपी शिन्दे ने संयुक्त राष्ट्र संघ एवं कृषि संगठन द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए उपरोक्त चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली और प्राकृतिक असंतुलन के लिए जिम्मेदार लोगों द्वारा खाद्य पदार्थों की बरबादी बेखौफ होकर की जा रही है जिसका परोक्ष बुरा प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के कहर से सबका मिला जुला प्रयास ही दुनिया को बचा सकता है। श्री शिन्दे ने बढ़ते जल, वायु, भूमि के साथ वाहन प्रदूषण की बढ़ती समस्या को रेखांकित करते हुए कहा कि इसे कम करने के लिए सार्वजनिक वाहनों का उपयोग बढ़ाना होगा। पॉलीथीन की लगातार बढ़ती खपत से भी पर्यावरण एवं मानव-पशु जीवन के लिए खतरा बढ़ने लगा है, इसलिए कपड़े अथवा कागज से बने बैग का अधिकाधिक उपयोग किया जाए। कार्यक्रम के दौरान आम जनता को बैनर एवं पाम्पलेट वितरण के माध्यम से खाद्य पदार्थों की बरबादी रोकने जागरूक किया गया। 

ब्लैकमेल कर रही थी, इसलिए मार डाला

रायगढ़। ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर ही शिक्षा कर्मी ने अपनी प्रेमिका की हत्या कर दी। मामला खरसिया-छाल क्षेत्र का है। मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने आरोपी प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है।
गत 18 मई को खरसिया में एक गुम इंसान दर्ज किया गया था। टेराडिह छाल निवासी अन्नू सिंह पिता तारासिंह राजपूत ने अपनी 32 वर्षीया पुत्री के लापता होने की सूचना दी थी। पुलिस ने संदेह के आधार पर उसके कथित प्रेमी श्रवण राठिया से पूछताछ की। श्रवण ने बताया कि अन्नू और उसका पिछले तीन साल से प्रेम-प्रसंग था। अन्नू प्रेरक शिक्षिका होने तथा वह शिक्षाकर्मी होने के कारण प्राय: संकुल स्तर की बैठकों में वे मिलते जुलते रहते थे। उनके बीच में शारीरिक संबंध भी था। अन्नू उसे फंसाने की धमकी देकर हर एक-दो माह के बाद उससे 10-15 हजार रुपये की मांग करने लगी थी। त्रस्त होकर होकर उसने उसे खरसिया बुलवाया जहां से दोनों भूपदेवपुर थानाक्षेत्र के सिंघनपुर-छाल जंगल की ओर गये जहां ग्राम गुर्दा के घने जंगलों में श्रवण ने गमछे से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने गुर्दा जंगल से मृतका का शव बरामद कर आरोपी को भादवि की धारा 302 के तहत गिरफ्तार कर लिया है।

नियम विरुद्ध है जस्टिस मिश्रा आयोग

बिलासपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि एवं सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन तिवारी ने डॉ. रमन सरकार द्वारा गठित जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग को उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देश व गाइड लाइन के विरूद्ध बताते हुए तत्काल इसे भंग कर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन करने की मांग की है।
श्री तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की सहमति के बिना जिला स्तर के अधिकारी इतनी गंभीर सुरक्षा चूक नहीं कर सकते। इस परिवर्तन यात्रा में जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त श्री कर्मा व श्री पटेल व वाई श्रेणी सुरक्षा प्राप्त पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री शुक्ल शामिल थे। हाई प्रोफाइल मुव्हमेंट के दरम्यान, स्टैण्डर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर नहीं अपनाया गया।
उन्होंने सरकार द्वारा एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन को भी आपराधिक षडयंत्र निरूपित किया है। श्री तिवारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर निर्देश व गाइड लाइन जारी किया है कि किसी भी उच्च न्यायालय के सिटिंग जज को जांच कमीशन का प्रमुख नहीं बनाया जा सकता फिर भी ऐसा करते हुए रमन सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दिया है कि वह घटना की सत्यता तक नहीं जाना चाहते तथा समय व्यतीत करने के लिए ड्रामा कर रहे हैं एवं जनता को भ्रमित करने का षडयंत्र कर रहे हैं।
श्री तिवारी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में पारित निर्णय 27 नवम्बर 2006 यूनिवर्सिटी आॅफ केरल विरूद्ध कौंसिल प्रिंसिपल कालेजेस केरल व अन्य में पूर्व के निर्णय टी फैन वाल्टर एवं अन्य बनाम भारत संघ में कठोरता से निषेध ठहराया गया है कि किसी भी राज्य के सिटिंग जज को किसी भी कमीशन का अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता।
इसी तरह से पटना उच्च न्यायालय के डिस्ट्रीक्ट बार एसोसिएशन भागलपुर बनाम बिहार राज्य 13 मई 2011 एलपीए क्र. 1334 आफ 2009 में यह निर्णय दिया है कि सीटिंग जज को कमीशन आफ इन्क्वायरी में नियुक्त नहीं किया जा सकता।
श्री तिवारी ने उड़ीसा के कलिंग नगर में पुलिस फायरिंग में मारे गए 12 अदिवासी एवं एक पुलिसकर्मी की मृत्यु के बाद उड़ीसा सरकार द्वारा फरवरी 2006 में गठित जस्टिस ए एस नायडू कमीशन को उद्धृत करते हुए बताया कि जस्टिस नायडू उड़ीसा उच्च न्यायालय के सीटिंग जज थे और उल्टे इस मामले की जांच कमीशन का अध्यक्ष बनाया गया था जस्टिस नायडू द्वारा 20 सिटिंग के बाद व 10 माह बाद कमीशन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने नियम दिया कि उच्च न्यायालय के सिटिंग जज इन्क्वायरी कमीशन के प्रमुख नियुक्त किये जा सकते हैं, बशर्ते वे संवैधानिक कार्य पर न हो। इन्क्वायरी कमीशन में सिटिंग जज के नियुक्ति के पूर्व उस जज से सहमति लेगी (लिखित में) कि वे जज की पोजीशन को छोड़ रहे हैं। श्री तिवारी ने बताया कि उन्हें जो जानकारी है, उनके मुताबिक जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने अभी तक पद त्याग नहीं किया है। 

RTE : सीबीएसई की पूछपरख, सीजी बोर्ड के लेवाल नहीं

भिलाई। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद भी निजी स्कूलों का कोटा खाली का खाली पड़ा है। खासकर सीजी बोर्ड के निजी स्कूलों में बहुत कम लोगों ने रुचि दिखाई है। लिहाजा इन स्कूलों में आरटीई के तहत आरक्षित सीटों में से आधे से अधिक सीटें आज भी खाली हैं। यही आलम रहा तो 30 जून के बाद भी 50फीसदी से अधिक सीटें खाली ही रह जाएंगी।
शहर की सीजी बोर्ड के स्कूलों में आरटीई के तहत इक्का-दुक्का ही प्रवेश हो सके हैं, जबकि सीबीएसई स्कूलों में भीड़ लगी है। यही हाल हिन्दी मीडियम स्कूलों का है, जहां कई स्कूलों में एक भी एडमिशन नहीं हो सका हैं। यही हाल सरकारी स्कूलों का है। पालक केवल उसी स्थिति में सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले रहे हैं, जहां उनके नजदीक एक भी निजी स्कूल नहीं है।
शिक्षा का अधिकार पाने इस बरस भले ही पालकों ने ज्यादा रूचि दिखाई है, लेकिन अब भी जिले की निजी स्कूलों की 82 प्रतिशत सीटें खाली हैं। जिले का एक भी स्कूल ऐसा नहीं है, जिसकी 25 प्रतिशत सीट भरी हों। प्रवेश की यही रफ्तार रही तो 30 जून तक मुश्किल से 30 प्रतिशत एडमिशन हो पाएगा।
जिलेभर में 822 बच्चों को एडमिशन देने के बाद भी अधिकतम स्कूलों में सीटें खाली हैं। पिछले तीन बरस की तरह इस वर्ष भी 25 प्रतिशत सीटों को भरने का टारगेट इस वर्ष भी अधूरा ही रहेगा। इस साल नर्सरी और पहली दोनों में एडमिशन देने की वजह से बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है, जबकि पिछले बरस 30 जून तक सिर्फ 903 बच्चों को ही प्रवेश मिल सका था। वर्ष 2012-13 में जिलेभर के निजी स्कूलों में कुल 2399 सीट गरीब बच्चों के लिए आरक्षित थी, लेकिन इन सीटों की एवज में मात्र 37.6 प्रतिशत बच्चों ने ही एडमिशन लिया था।
पिछले बरस के मुकाबले इस बार गरीब बच्चों के लिए स्कूलो में कुल 2126 सीट का इजाफा हुआ है, लेकिन इसके एवज में अब तक मात्र 822 बच्चों को प्रवेश मिल सका है। अगर प्रवेश का प्रतिशत देखा जाए तो मात्र 18 प्रतिशत सीट ही आरटीई के तहत भर पाई हैं।

कभी चूहों से भी छोटे थे इंसानो के पूर्वज

बीजिंग। दुनिया में इंसानों के प्राचीन इतिहास को लेकर समय-समय पर वैज्ञानिक तथ्य सामने आते रहे हैं। एक नए अध्ययन की माने तो बहुत अरसा पहले इंसानों के पूर्वज आकार में चूहों से भी छोटे होते थे। चीन के हुबेई प्रांत में 2003 में मिले दुनिया के सबसे पुराने कंकाल एवं जीवाश्म के अध्ययन से इसका संकेत मिला है कि मानवों के पूर्वजों का कद बहुत छोटा हुआ करता था।
जो कंकाल बरामद किए गए थे, वे एक नए वंश और प्रजाति के हैं, जिन्हें ‘आर्किकेबस’ के नाम से जाना जाता है। चीनी, अमेरिकी और फ्रांसीसी वैज्ञानिकों की ओर से लिखे गए दस्तावेज में इन तथ्यों का उल्लेख है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पाषाण काल के शुरुआती दौर में 5.5 करोड़ साल पहले बंदर रहते थे। यह पहले से ज्ञात स्तनधारी जीवों से 70 लाख साल पुराने हैं। इन बेहद छोटे स्तनधारी जीवों का शरीर करीब 71 मिलीमीटर लंबा और इनका वजन 20 से 30 ग्राम के बीच होता था। कंकालों के अध्ययन में कहा गया है कि ये जीव पेड़ पर चढ़ सकते थे और उछल कूद भी कर सकते थे।
अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाले ‘चाइनीज एकैडमी आॅफ साइंसेज’ के डॉक्टर नी जीजुन ने कहा कि ये जीव मानव प्रजाति के सबसे प्राथमिक सदस्य थे।

जीवन में न मानें कभी हार : अमिताभ बच्चन

मुंबई। दिवंगत अभिनेत्री जिया खान के साथ अभिनय कर चुके मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने लोगों को सलाह दी है कि उन्हें लक्ष्य हासिल करने में बाधा आने या विफल रहने पर जीवन में हार नहीं माननी चाहिए। बच्चन ने कहा, जिया खान की आत्महत्या की खबर से मैं दुखी और स्तब्ध हूं। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे अवसाद की वजह से ऐसा कोई कदम न उठाएं।
25 वर्षीय अभिनेत्री जिया सोमवार रात को जूहू स्थित अपने फ्लैट में मृत पाई गई थीं।  हालांकि उन्होंने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है फिर भी यह माना जा रहा है कि निजी और पेशेवर जीवन में विफलताओं ने उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर किया। बच्चन ने कहा, ऐसे बहुत से लोग हैं जो सपने पूरे न हो पाने की वजह से अपने जीवन से दुखी, चिंतित और अवसादग्रस्त हैं। मैं उन सभी से अनुरोध करता हूं कि जीवन में कभी हार न मानें।
जिया ने अपने अभिनय कॅरियर की शुरुआत वर्ष 2007 में रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘निशब्द’ से की थी। इस फिल्म में उन्होंने अमिताभ के साथ काम किया। इस फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलीं लेकिन 19 वर्षीय जिया को उनके आत्मविश्वास, एटीट्यूड और सेक्स अपील की वजह से पहचान मिली। जिया को सर्वश्रेष्ठ नवोदित कलाकार के लिए फिल्मफेयर में नामांकन भी मिला था।

अन्य राज्य से डिप्लोमा वाले शिक्षक की नियुक्ति जायज

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने अकोला जिला परिषद के शिक्षा अधिकारी का वह आदेश दरकिनार कर दिया है जिसमें उन्होंने एक शिक्षक की नियुक्ति की अनुमति देने से इस आधार पर इंकार कर दिया था कि वह महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना के मुताबिक योग्य नहीं है।
गोविंद महाले नामक इस शिक्षक ने उच्च न्यायालय में एक यचिका दाखिल कर यह व्यवस्था देने की मांग की थी कि शिक्षा अधिकारी का उसकी नियुक्ति को मंजूरी नहीं देने का आठ अक्तूबर 1996 का आदेश कानून के मुताबिक उचित नहीं था और इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। इस शिक्षक ने अपनी नौकरी बचाए रखने के लिए भी गुहार लगाई थी। उच्च न्यायालय ने 31 मार्च 1998 को इस मामले में नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी थी जिससे वह अभी भी नौकरी कर रहा है ।
याचिकाकर्ता के वकील पी बी पाटिल ने 31 मई 1993 के एक सरकारी प्रस्ताव और उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के फैसले का संदर्भ यह बताने के लिए दिया कि शिक्षक नियुक्ति के लिए योग्य है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने 16 जुलाई 1991 को मध्यप्रदेश के सागर विश्वविद्यालय द्वारा संचालित ‘शिक्षण में डिप्लोमा’ में प्रवेश लिया ओर 30 अप्रैल 1993 को पाठ्यक्रम पूरा कर लिया जबकि सरकारी प्रस्ताव 31 मई 1993 को जारी हुआ था।
वकील ने यह भी कहा कि शिक्षक ने जो ‘शिक्षण में डिप्लोमा’ पेश किया है उसे महाराष्ट्र के किसी भी संस्थान द्वारा दिए गए डिप्लोमा के समकक्ष समझना चाहिए। वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति की अनुमति न देने का आदेश उचित नहीं है लिहाजा  इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी प्रस्ताव जब जारी हुआ था तब याचिकाकर्ता नौकरी करने लगा था और पूर्व के आदेश के आलोक में उसकी नियुक्ति सुरक्षित रखी जाती है।
सहायक सरकारी वकील के जोशी ने कहा कि 16 दिसंबर 2010 के सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक याचिकाकर्ता के नौकरी में बने रहने के हक पर विचार किया जाना चाहिए। न्यायमूर्तियों पी बी धर्माधिकारी और ए बी चौधरी ने कहा ‘हमने पाया कि याचिकाकर्ता ने सागर विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया और उसे 31 मई 1996 से पहले पूरा कर लिया।’
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का मामला 31 मई 1993 के सरकारी प्रस्ताव के दायरे में आता है और खंडपीठ की व्यवस्था के आलोक में आठ अक्तूबर 1996 के आदेश को रद्द किया जाता है।
शिक्षा अधिकारी ने आठ अक्तूबर 1996 के आदेश में शिक्षक की नियुक्ति को इस आधार पर मंजूरी देने से मना कर दिया था कि वह महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, योग्य नहीं है।

अपने बर्थडे को पासवर्ड बनाने की भूल न करें

सिक्यूरिटी : स्प्लैश डेटा ने जारी की खतरनाक पासवर्ड्स की सूची

नई दिल्ली। अकसर लोग याद रखने के झंझट से बचने के लिए अपनी जन्मतिथि, विवाह वार्षिकी या अपने नाम के आद्याक्षरों का पासवर्ड के लिए उपयोग करते हैं। संस्थाओं में, जहां एक से अधिक कम्प्यूटरों पर अलग-अलग पालियों में काम होता है अकसर 1234 या एबीसीडी जैसे पासवर्ड रखे जाते हैं। ये सभी पासवर्ड खतरनाक हैं तथा डाटा चोर इन्हें चुटकियों में डीकोड कर सकते हैं।
पासवर्ड प्रोटेक्शन और डेटा सेफ्टी के लिए काम करने वाली फर्म स्प्लैश डेटा ने 2012 के सबसे खराब 25 पासवर्ड की लिस्ट जारी की है। ये इंटरनेट पर इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे कॉमन पासवर्ड हैं, जिन्हें हैकर्स ने चुराकर आॅनलाइन पोस्ट किया है। कंपनी के मुताबिक इन पासवर्ड को इस्तेमाल करने वाले लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है। इस लिस्ट में टॉप 3 पासवर्ड पिछले साल की लिस्ट में इसी नंबर पर थे। कंपनी ने सलाह दी है कि अगर इनमें से कोई पासवर्ड आपका है, तो तुरंत बदल लें।
2011-2012 के आम पासवर्ड
खतरनाक पासवर्ड्स में 123456, 1235678, पासवर्ड (अंग्रेजी में), एबीसी123, क्यूडब्लूईआरटी (क्वेर्टी), एमओएनकेईवाय (मंकी), लेट मी इन, ड्रैगन, आयलवयू, मास्टर, 123123, वेलकम, शैडो, जीसस, निन्जा जैसे फिकरे और अंक संयोजन शामिल हैं। इसके अलावा सबसे कॉमन पासवर्ड डेट आफ बर्थ, मैरिज एनिवर्सरी, पहले बच्चे की जन्मतिथि आदि है।
सेफ पासवर्ड के कुछ टिप्स:

  • आठ या ज्यादा कैरक्टर्स पासवर्ड में शामिल करें।
  • पासवर्ड में कैपिटल और स्मॉल, दोनों लेटर्स शामिल करें।
  • पासवर्ड में नंबर्स और स्पेशल कैरक्टर्स भी शामिल करें।
  • बर्थडे या लवर के नाम जैसे पासवर्ड न रखें।
  • अलग-अलग वेबसाइट के लिए एक ही यूजरनेम और पासवर्ड न रखें।


एफएसडीसी को और ताकत का आइडिया खारिज

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने ऐसे वक्त में फाइनैंशल स्टेबिलिटी और रेग्युलेशन में सरकार के ज्यादा रोल के लिए चल रहे कैंपेन की आलोचना की, जब दुनिया भर में सरकारें रेग्युलेटर्स को ज्यादा स्वायत्तता दे रही हैं। उन्होंने फाइनैंस मिनिस्टर की अगुवाई वाली फाइनैंशल स्टेबिलिटी एंड डिवेलपमेंट काउंसिल (एफएसडीसी) के रेग्युलेटर्स के बीच कोआॅर्डिनेटर होने के बजाय उसके वैधानिक रोल के आइडिया को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि इस प्लान से कुछ भी हासिल नहीं होगा। इंडियन मर्चेंट्स चैंबर के कॉन्फ्रेंस में सुब्बाराव ने कहा, 'ऐसी सिफारिश की गई है कि सिस्टेमैटिक रिस्क से बचाने की एग्जेक्युटिव रिस्पॉन्सिबिलिटी एफएसडीसी बोर्ड के पास होनी चाहिए, जो दुनिया भर में क्राइसिस के बाद के ट्रेंड के उलट है। दुनिया भर में ऐसी बॉडीज को सिर्फ कोआर्डिनेशन और सिफारिश करने की जिम्मेदारी दी गई है।'
आरबीआई गवर्नर ने कहा, हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है कि एफएसडीसी की जिम्मेदारियों को कोआॅर्डिनेशन बॉडी से बढ़कर ऐसी बॉडी का किया जाना चाहिए या नहीं, जिसके पास एग्जेक्युटिव फैसले लेने की अथॉरिटी हो? यूपीए सरकार रेग्युलेटर्स के बीच मतभेद खत्म करने की आड़ में पिछले तीन साल से ज्यादा रेग्युलेटरी पावर अपने हाथ में लेने की तरफ बढ़Þ रही है। जब प्रणव मुखर्जी फाइनैंस मिनिस्टर थे, तब एफएसडीसी नाम से रेग्युलेटर्स का एक अनौपचारिक पैनल बनाया गया था। अब इसे वैधानिक पावर के साथ स्थाई बनाने का प्रस्ताव है।

विरोध के बाद एनसीटीसी ठंडे बस्ते में

नई दिल्ली। गैर कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के कड़े विरोध के बाद सरकार ने प्रस्तावित एनसीटीसी के प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने यही इशारा किया था कि राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केन्द्र के गठन पर कोई भी फैसला पूर्ण सहमति के बाद ही लिया जाएगा।
केन्द्र इस मुद्दे पर ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल) और नीतीश कुमार (बिहार) जैसे मुख्यमंत्रियों से आम चुनावों से पहले बैर मोल नहीं लेना चाहता। ममता और नीतीश के अलावा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी एनसीटीसी का विरोध किया है। और तो और कांग्रेस शासित राज्यों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी एनसीटीसी के संशोधित प्रस्ताव के कुछ प्रावधानों पर चिन्ता व्यक्त की है ।

ओएनजीसी ने गोद लिये छह स्मारक

ताजमहल और लालकिला भी शामिल

नई दिल्ली। ताजमहल और लाल किला सहित देशभर के छह पर्यटन स्थल ‘अब क्लीन इंडिया’अभियान के तहत साफ-सफाई के दायरे में आयेंगे। यह अभियान 12वीं पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत देशभर के पर्यटन स्थलों और उसके आसपास के वातावरण और वहां मुहैया कराई जा रही सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार करना है।
पर्यटन मंत्री चिरंजीवी की देखरेख में मंत्रालय की पहल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने क्लीन इंडिया अभियान के तहत छह स्मारकों को गोद लेने के ओएनजीसी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इन छह समारकों में आगरा को ताजमहल, दिल्ली का लाल किला, महाराष्टÑ में एलोरा और एलिफेंटा की गुफाएं, हैदराबाद का गोलकुंडा किला और तमिलनाडु का महाबलीपुरम शामिल हैं। क्लीन इंडिया अभियान का उद्देश्य पर्यटन स्थलों और उसके आसपास के इलाकों की साफ-सफाई को स्वीकार्य स्तर तक पहुंचाना है।
ओएनजीसी इन स्मारकों को कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी के तहत गोद ले रही है। पर्यटन मंत्रालय की यह कोशिश है कि अधिक से अधिक संख्या में स्मारकों व पर्यटन स्थलों के लिए क्लीन इंडिया अभियान चलाया जाए, ताकि पर्यटकों को ऐसे पर्यटन स्थलों पर साफ-सुथरे वातावरण में घूमने की भावना का अनुभव हो।

उच्च गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा की जरूरत : राष्ट्रपति

भोपाल। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि देश ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। लेकिन इसके बावजूद देश तेजी से बढ़ती मांग के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने में पीछे है।
राष्ट्रपति ने गुरुवार को यहां राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में कहा कि यही कारण है कि विश्व के लगभग 200 शीर्षस्थ विश्वविद्यालयों में भारत का कोई विश्वविद्यालय नहीं है। उन्होंने कहा कि छठवीं शताब्दी में तक्षशिला, नालंदा, वल्लभी तथा विक्रमशिला जैसे भारतीय विश्वविद्यालय दुनिया में अपना दबदबा बनाए हुए थे और विश्व के विभिन्न देशों के विद्यार्थी यहां विद्या अर्जन करने आते थे।
उन्होंने कहा कि तक्षशिला उस समय वैश्विक विश्वविद्यालय के रुप में प्रसिद्ध था जो भारतीय, पारसी, ग्रीक और चीनी सभ्यता की धुरी बना हुआ था और अपने कुशल प्रबंधन के लिये जाना जाता था। उन्होंने कहा कि देश के मेरिट में आने वाले छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी देश के अनेक भागों में उच्च शिक्षा के लिए संस्थान नहीं हैं, जिससे उन क्षेत्रों में रहने वाले अनेक छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। उच्च शिक्षण संस्थाओं में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों की कमी का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि जब तक इन शिक्षण संस्थाओं में खाली पदों को भरा नहीं जाता और शिक्षकों की क्षमता विकसित नहीं की जाती, तब तक गुणवत्ता में सुधार के हमारे प्रयास अधूरे ही रह जाएंगे।
दीक्षांत समारोह को मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री नारायण सामी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा तथा संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एसके अग्रवाल को डाक्टर आफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की गई।

सीजन तो बीतने दो, बन जाएगी टीम भी

अमानक पानी बोतल और पाउच की धड़ल्ले से बिक्री

भिलाई। खाद्य एवं औषधि विभाग का रवैया भी अजीब है। गर्मियों का मौसम बीतने को है और विभाग के अधिकारी अब भी देखेंगे, करेंगे, होगा जैसी भाषा बोल रहे हैं। अंचल में बिक रहे अमानक पानी पाउच और बोतलों पर विभाग का जवाब है कि टीम बनेगी, सैंपल लेंगे, जांच भी करेंगे और कार्यवाही भी।
गौरतलब है कि ग्रीष्म में पाउच और बोतलों की बिक्री कई गुना बढ़ जाती है। अब पहले जैसे प्याऊ भी नहीं लगते इसलिए लगभग सभी लोग पानी खरीदकर पीने के लिए विवश हैं। पैक पानी में भी बदबू की शिकायत आम है। पानी में जाले और काई जैसी बू आने की शिकायत लोग करते रहते हैं। शिकायतें विभाग के पास भी पहुंचती हैं पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
किसी का भी नाम नहीं
ऐसे पानी पाउच की शहर में कोई कमी नहीं जिनपर न तो उत्पादक का नाम  है, न पैक करने वाले का, न तो इनपर बैच नम्बर है और न ही विक्रय मूल्य। इसकी शिकायतें भी हुई हैं पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती।
बदबू और जाला
लोगों ने बोतल बंद और पाउच पैक पानी में बदबू की शिकायत की है। यह बदबू अकसर काई की होती है। जानकार बताते हैं कि भूजल को मशीनों में फिल्टर कर पैक किए गए पाउच में काई की बदबू आनी ही नहीं चाहिए। यदि काई की बदबू है तो साफ जाहिर है कि न तो यह भूजल है और न ही मशीन द्वारा शोधित। यह निश्चय ही किसी तालाब या कुएं का पानी है।
पाउच में जानलेवा गंदगी
पानी पाउच आम तौर पर बोरों में भरकर बेचे जाते हैं। शादी ब्याह से लेकर मरनी धरनी तक में इसका उपयोग आम है। लोग ठेलों से भी पाउच पानी खरीदकर पीते हैं। मुक्तिधाम जाने वाले लोग भी एक-आध बोरा पाउच लेकर चलते हैं। पाउच को आम तौर पर लोग दांतों से ही काटते हैं और तत्काल पानी का फव्वारा छूटता है। इसमें पाउच के बाहर की गंदगी भी मुंह में चली जाती है।

आईआईटी मंडी ने बनाई अगले दौर की ‘आईसी चिप’

शिमला। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी ने अगली पीढ़ी की आईसी चिप बनाने में आने वाली दिक्कतों से निपटने के लिए नई तकनीक इजाद की है। प्रोफेसर केनेथ गोंजाल्विस के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने एक्स्ट्रीम अल्ट्रा-वायलेट लिथोग्राफी (ईयूवीएल) का इस्तेमाल करते हुए फोटो-रसिस्ट की डिजाइन और इसे विकसित करने की परियोजना पर काम किया है।
प्रो गोंजाल्विस के साथ काम करने वाले दल में स्कूल आॅफ बेसिक साइंसेज के डॉ सुब्रत घोष और डॉ प्रदीप परमेश्वरन तथा स्कूल आॅफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के डॉ सतिंदर शर्मा शामिल हैं।
आईआईटी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, आज की दुनिया में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सेमीकंडक्टर चिप की अहम भूमिका है क्योंकि वे आधुनिक कंप्यूटिंग और दूरसंचार के केंद्र में हैं और कंप्यूटर से नियंत्रित एवं संचालित मशीनरी के विकास में भी अहम हैं।

ताशी और नुंगशी नापेंगे सातों महाद्वीप के सर्वोच्च शिखर

नई दिल्ली। माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर इतिहास रचने वाली देहरादून की जुड़वां बहनों की योजना अब सभी महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखर पर चढ़ने की है। ताशी और नुंगशी मलिक (21) ने दो महीने से अधिक के प्रयास के बाद 19 मई को अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल किया था और विश्व के सर्वोच्च शिखर पर चढ़ने वाली पहली जुड़वां बहनें बनीं।
ताशी मलिक ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अब हम दोनों सातों महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखर पर फतह करना चाहते हैं। हम दो शिखर फतह कर चुके हैं और अगर हमें हमारे प्रायोजकों से कोष मिलता है तो हम बाकी बचे पांच शिखरों पर भी जाना चाहेंगे।

तरतीब और तहजीब का केन्द्र बना अपना ‘एम्स’

शुरू हो गई ओपीडी, क्रमश: आएगा बहुत कुछ

रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था एम्स की रायपुर इकाई को देखकर हर कोई कह उठा वाह। बुधवार को एम्स रायपुर में ओपीडी प्रारंभ हो गया। डेढ़ दो सौ रोगी पहुंचे। जांच भी हुई और दवा भी लिखी गई। मरीजों को मिठाइयां दी गर्इं। बच्चों को रंगीन गुब्बारे दिए गए। हर तरफ खुशी का माहौल था। वाह! वाह!! करते हुए शहरवासियों के मुंह से निकल ही गया, काश यह तहजीब और माहौल बना रहे और शहर के अन्य अस्पताल भी इससे कुछ सीखें।
एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर के नेतृत्व में सुबह 8.30 बजे से जनरल बाह्य रोग ओपीडी शुरू हुई। दोपहर 1.30 बजे तक चली ओपीडी में 150 मरीज पहुंचे। एम्स प्रशासन ने भी मरीजों के रिस्पांस को देखकर संतोष व्यक्त किया है। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नागरकर ने भी मरीजों का इलाज किया।
रोबोटिक मशीन आॅपरेटेड ओटी दिसम्बर तक
मेडिसिन, सर्जरी, गायनिक (स्त्री रोग), ईएनटी, नेत्र, शिशु रोग, अस्थि रोग, मनोरोग (छह विभागों) की ओपीडी शुरू हुई। फिलहाल दवाएं तथा पैथोलॉजी जांच यहां नहीं होगी। तीन से चार माह में ट्रॉमा यूनिट समेत 150 बिस्तर का अस्पताल खुल जाएगा। एम्स में मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए अलग-अलग विभागों के 4 आॅपरेशन थिएटर बनाए जा रहे हैं। साल के अंत तक रोबोटिक मशीन आॅपरेटेड आॅपरेशन थिएटर बना दिए जाएंगे।

बीड में खाली पड़े हैं सलमान के दिए टैंक

बीड (महाराष्ट्र) बालीवुड अभिनेता सलमान खान द्वारा सूखा राहत के लिए दिए गए करीब 200 जल भंडारण टैंक अब भी सिंचाई विभाग के कार्यकारी सबइंजीनियर के कार्यालय में मौजूद हैं और उनका उपयोग नहीं हुआ है।
सलमान खान की ‘बीइंग ह्यूमन फाउंडेशन’ ने सूखा प्रभावित बीड जिले में जल भंडारण टैंक उपलब्ध कराए थे लेकिन प्रभावित गांवों को अब तक सभी टैंकों का वितरण नहीं हुआ है। आम आदमी पार्टी ने भी बीड जिले के सूखा प्रभावित क्षेत्र में 10 जल भंडारण टैंक दिये हैं। एक अधिकारी ने कहा, हमने तीन तहसीलों के खंड विकास अधिकारियों को सूचित किया है लेकिन वे जल भंडारण टैंक लेने नहीं आए।      रेजीडेंशियल जिला कलेक्टर बीएम कांबली ने कहा कि जल भंडारण टैंकों के वितरण के लिए ग्रामीण जल वितरण विभाग जिम्मेदार है।

Wednesday, June 5, 2013

जानकारी की कमी से बाल रक्षा कार्यक्रमों में बाधा आ रही है : एनसीपीसीआर

नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि उपयुक्त जानकारी की कमी, कम व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ ही पेशेवर लोगों की कमी बाल रक्षा कार्यक्रमों को बाधित कर रही है।
एनसीपीसीआर ने कहा, अधिकतर बाल रक्षा पेशेवरों को बच्चों की संवेदनशील एवं समर्थन प्रणाली का पेशेवर प्रशिक्षण, प्रतिबद्धता एवं जानकारी नहीं है जो किशोर न्याय अधिनियम एवं समन्वित बाल संरक्षण योजना को उपयुक्त तरीके से लागू करने को प्रभावित कर रहा है। इसने कहा, वास्तव में अधिकतर राज्य कर्मचारियों की कमी के कारण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं। आयोग ने महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय को पत्र लिखकर बाल रक्षा पेशेवरों के लिए कौशल निर्माण, ज्ञान प्रबंधन और मानव संसाधन योजना पाठ्यक्रमों को लागू करने की अनुशंसा की है।

सितारे जो 40 से पहले ही टूट गए

जिया ऐसी पहली अभिनेत्री नहीं हैं जो इतनी कम उम्र में ही चल बसीं।
मधुबाला : हृदय रोग के कारण मधुबाला की मृत्यु सिर्फ 36 साल की उम्र में ही हो गई। मधुबाला के दिल में एक छोटा सा छेद था जो उस वक़्त लाइलाज था। मधुबाला के अंतिम वर्ष बेहद दुखद रहे। उनका खूबसूरत चेहरा धीरे धीरे बिगड़ने लगा था। वह आईना देखकर डरने लगी। वे अपने मेकअप मैन को घर बुलाने लगी। वह दिन भर मेकअप करके बैठी रहतीं। उनके पास आने वाले उनकी खूबसूरती की तारीफ करते रहते ताकि उन्हें डिप्रेशन न हो।


मीना कुमारी : मीना कुमारी की जब मृत्यु हुई उस वक़्त उनकी उम्र 39 वर्ष थी। 31 मार्च 1972 को उनकी मृत्यु लीवर सिरोसिस नाम की बीमारी की वजह से हुई। अपने आखिरी के सालों में वो बहुत शराब पीने लगीं थीं। मीना कुमारी के नजदीकी लोग उन्हें देसी शराब विदेशी शराब की बोतल में भर कर दे देते थे। नशे में डूबी मीना को कुछ मालूम भी नहीं पड़ता था।


स्मिता पाटिल : स्मिता पाटिल की मृत्यु बेटे प्रतीक के जन्म के तुरंत बाद प्रसव के दौरान हुई कुछ जटिलताओं की वजह से हुई। वो मात्र 31 वर्ष की थीं। स्मिता पाटिल अद्भुत अभिनय क्षमता की मालकिन थीं। फिल्म वारिस उनके करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक थी। अर्थ, भूमिका, मंडी और निशांत जैसी कई यादगार फिल्में उन्होंने कीं। स्मिता पाटिल राज बब्बर की पत्नी थीं।

सिल्क स्मिता : साउथ सेंसेशन सिल्क स्मिता 23 सितंबर 1996 को चेन्नई में अपने घर में मृत पाई गईं। वो 35 वर्ष की थीं। ऐसा कहा जाता है कि सिल्क अपने जीवन से इतना निराश हो गईं थीं कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। सिल्क को उनकी लोकप्रियता ले डूबी। उनकी छवि एक 'सेक्स सायरन' की बन चुकी थी। पत्रिकाओं में उनके बारे में भद्दी बातें लिखी जा रहीं थी। राह चलते लोग उन्हें गंदे इशारे किया करते थे। ये सब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ।


दिव्या भारती : दिव्या भारती सिर्फ 19 साल की थीं जब मुंबई में उनकी मृत्यु पांच मंजिला इमारत से गिरने की वजह से हुई। उनकी मृत्यु के इर्द-गिर्द कई सवाल उठाए गए। किसी ने कहा कि ए एक एक्सीडेंट था, किसी ने इसे आत्महत्या कहा तो किसी ने कहा कि दिव्या साजिश का शिकार हुई। हालांकि पुलिस को इस बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया। मशहूर फिल्म स्तंभकार जयप्रकाश चौकसे कहते हैं, मैं समझता हूं कि दिव्या भारती अपनी सफलता के कारण मरी। बहुत छोटी उम्र में बहुत बड़ी कामयाबी उन्हें मिल गई थी। इसे वे संभाल नहीं पार्इं। इसलिए शायद वो ड्रग्स भी लेने लगीं और शराब भी, जो उनकी मौत का कारण बना।

जिया खान : जिया ने निशब्द, गजिनी और हाउसफुल जैसी फिल्मों में काम किया। उन्होंने विदेश में अपनी पढ़ाई की जहां का वातावरण बहुत खुला होता है। वहां से वो बॉलीवुड में आई और यहां आते ही उन्होंने तीन बड़ी फिल्मों में काम किया। तीनों ही फिल्में सफल रही। ट्विटर पर उनके डेढ़ लाख फालोअर थे। उनके फैन्स भी बने और ब्वायफ्रेंड भी। पता नहीं किसने उनका दिल तोड़ा कि उन्हें यूं इतनी कम उम्र में अपनी जान गंवानी पड़ी।

फर्जी बिल्डरों की लगेगी वाट

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रीयल एस्टेट (रेगुलेशन और डेवलेपमेंट) विधेयक 2013 का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। अब इसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। अगर ये कानून बना तो बिल्डिंग प्रोजेक्ट के विज्ञापन से लेकर फ्लैट की चाभी आपको सौंपे जाने तक सरकार सभी चरणों पर नजर रखेगी।
किसी बिल्डर को अपने प्रोजेक्ट से संबंधित विज्ञापन में गलत जानकारी देने पर प्रोजेक्ट की कुल कीमत का करीब दस फीसदी तक जुर्माना वसूला जा सकता है। अगर बिल्डर ऐसा बार-बार करता है, तो उसे तीन साल तक जेल की सजा हो सकती है।

पूरी करें औपचारिकता

कानून के मुताबिक अब किसी बिल्डर को किसी परियोजना पर काम शुरू करने की इजाजत तभी मिलेगी, जब वो सभी औपचारिकताएं पूरी कर लेगा। उसे परियोजना से जुड़े कागजात भी सक्षम अधिकारी के पास जमा कराने होंगे।

सख़्त प्रावधान


  • बिल्डर को देनी होगी परियोजना की सभी जानकारी
  • गलत जानकारी देने पर लगेगा जुर्माना, होगी जेल
  • औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही शुरू होगा काम
  • संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है विधेयक
  • बिल्डर को बताना होगा कि उसकी परियोजना कब शुरू होगी और कब पूरी होगी। इसके अलावा उसे प्रमोटरों के परिचय पत्र, लेआउट प्लान, जमीन की स्थिति, कारपेट एरिया और बुक हुए अपार्टमेंट की तादाद जैसी बातें भी बतानी होंगी।
  • प्रोजेक्ट को एक बार मंजूरी मिलने के बाद बिल्डर उसमें कोई बदलाव नहीं कर पाएगा। देरी होने पर बिल्डर को फ्लैट के खरीदार को जुमार्ना देना होगा। अगर खरीदार चाहे तो वह बिल्डर से अपना पैसा वापस भी मांग सकता है।
  • काम शुरू करने से पहले बिल्डर को ये सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर डालनी होंगी।

इसके अलावा बिल्डरों के लिए यह जरूरी होगा कि वो कारपेट एरिया की घोषणा करें। अब तक बिल्डर सुपर एरिया के आधार पर ही उपभोक्ता से कीमत वसूला करते थे। सरकार का मानना है कि ये कानून अमल में आने के बाद घर खरीदने वालों को फायदा होगा।
अलग बैंक खाता : बिल्डरों के लिए यह प्रावधान भी है कि वो किसी प्रोजक्ट के लिए मिले धन का 70 फीसदी हिस्सा एक अलग बैंक खाते में रखेंगे। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि बिल्डर किसी प्रोजक्ट के लिए मिला पैसा किसी और प्रोजक्ट पर खर्च न कर पाएं। इसके अलावा विधेयक में एजेंटों को भी रेगुलेटरी अथॉरिटी के पास रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहने का प्रावधान है।
इस कानून के पालन के लिए राज्यों में संयुक्त सचिव के स्तर के अफसर की तैनाती की जाएगी और उसे अथॉरिटी की तरफ से नियुक्त किया जाएगा।
इस विधेयक में रीयल एस्टेट अपील ट्रिब्यूनल के गठन का भी प्रावधान है। यह ट्रिब्यूनल रेगुलेटरी अथॉरिटी या फैसला देने वाले अफसरों के आदेशों, फैसलों या निर्देशों पर सुनवाई करेगा।

9वीं एवं 11वीं कक्षा से शुरू होगी ओटीबीए

दिसम्बर में स्कूलों को मिलेगी सामग्री
तार्किक कौशल को बढ़ाना होगा उद्देश्य

नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मार्च 2014 में नौंवीं कक्षा में समेटिव परीक्षा एवं 11वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में खुली किताब पर आधारित मूल्यांकन (ओटीबीए) शुरू करने का निर्णय किया है।
सीबीएसई के अध्यक्ष विनीत जोशी ने कहा, यह ओपन बुक सिस्टम का ही एक स्वरूप है। इसके तहत स्कूलों को केस स्टडी दी जाएगी। इस केस स्टडी के आधार पर बच्चों से परीक्षा में प्रश्न पूछे जाएंगे। उन्होंने कहा, स्कूलों को पाठ्य सामग्री और केस स्टडी दिसंबर 2013 तक प्रदान कर दी जाएंगी। इसका मकसद पठन पाठन को उपयोगिता आधारित बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे विषयों का गहराई से अध्ययन करें।
उन्होंने कहा कि विषयों को रट कर परीक्षा देने की बजाए उनका विश्लेषण करके और तथ्यपरक और तार्किक कौशल को शिक्षा से जोड़ने के लिए 9वीं और 11वीं कक्षा में मार्च 2014 से ह्यओपेन टेक्स्ट बेस्ड एसेसमेंटह्ण (ओटीबीए) पेश करने की योजना बनाई गई है।
नौंवी कक्षा में मार्च 2014 में होने वाली समेटिव परीक्षा में सभी मुख्य विषयों में खुली किताब पर आधारित मूल्यांकन होगा। स्कूलों को परीक्षा से कुछ महीने पहले पाठ्य सामग्री दी जाएगी। पाठ्यसामग्री में केस स्टडी, डायग्राम, चित्र, कार्टून, समस्या या स्थिति पर आधारित पाठ्य सामग्री आदि शामिल होगी। इन पाठ्य सामग्रियों को पाठ्यक्रम के भीतर से ही लिया जाएगा।
ओटीबीए में हाई आर्डर थिंकिंग स्किल्स (हाट्स) से जुड़े प्रश्न भी होंगे और इसमें कुछ सब्जेक्टिव प्रश्न भी होंगे।
11वीं कक्षा में मार्च 2014 में होने वाली वार्षिक परीक्षा में अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान और भूगोल विषय में खुली किताब पर आधारित मूल्यांकन (ओटीबीए) पेश किया जायेगा।
(बॉक्स)
यह होगी पद्धति
स्कूलों को केस स्टडी, डायग्राम, कार्टून, समस्या या स्थितियों पर आधारित पाठ्य सामग्री के रूप में सामग्री उपलब्ध करायी जाएगी। ओपेन टेक्स्ट बेस्ड एसेसमेंट में हाई आर्डर थिंकिंग स्किल्स (हाट्स) से जुड़े प्रश्न भी होंगे और इसमें कुछ सब्जेक्वि प्रश्न भी होंगे।  बोर्ड ने स्कूलों से कहा है कि छात्रों को केस स्टडी का अध्ययन समूहों में करने को प्रोत्साहित किया जाए।
शिक्षकों की भूमिका बढ़ेगी
नई पद्धति में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी जो थ्योरी और उस विषय एवं पाठ्य सामग्री के उपयोग के बीच अंतर को पाटने का काम करेंगे। इससे छात्रों में विषयों के बारे में चर्चा करने, तार्किक ढंग से सोचने और पाठन पाठन में गहराई से हिस्सा लेने की प्रवृति को बढ़ावा मिलेगा।

‘वाई’ या ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा के लिए पूर्व मंत्री होना काफी नहीं

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश से बहुजन समाज पार्टी के एक नेता की सुरक्षा की गुहार ठुकराते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पूर्व मंत्री होने के आधार पर कोई व्यक्ति ‘वाई’ या ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा का हकदार नहीं हो सकता है।
न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुए कहा, यदि नियमों के तहत आप सुरक्षा पाने के हकदार नहीं हैं तो आपको सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। सरकारी खर्च पर ऐसा नहीं हो सकता है। न्यायाधीशों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ रामवीर उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने बसपा नेता को अंतरिम राहत देने के बजाये उनकी याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायाधीशों ने विशेष अनुमति याचिका को समय से पहले करार देते हुए कहा कि यह विचार करने योग्य नहीं है। रामवीर उपाध्याय उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार में मंत्री थे लेकिन प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्तारूढ़ होने के बाद उनकी सुरक्षा वापस ले ली गयी थी।
न्यायालय ने कहा कि यदि पूर्व मंत्री को किसी प्रकार के खतरे की आशंका है तो उन्हें अपने खर्च पर निजी सुरक्षा व्यवस्था करने का अधिकार है। न्यायाधीशों ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के दौरान अंतरिम राहत के लिए बसपा नेता उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष मामला ले जाने के लिये स्वतंत्र हैं और अदालत सुरक्षा को खतरे के आकलन के लिए अधिकृत समिति की रिपोर्ट के आधार पर उसकी याचिका पर विचार कर सकती है।
न्यायाधीशों ने कहा कि पहली नजर में वे बसपा नेता के लिये ‘एक्स’ या ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने की दलीलों से सहमत नहीं है और वैसे भी राज्य सरकार, केन्द्र सरकार, गुप्तचर ब्यूरो या संबंधित प्राधिकारी को ही सुरक्षा को खतरे का आकलन करना है। न्यायाधीशों ने कहा, हमारा अनुभव है, सुरक्षा को गंभीर खतरा होने के बावजूद हमने तो सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल से ही ‘एक्स’ या ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा देखी है। यह बड़ी विचित्र बात है कि पूर्व सांसद या विधायक होने के कारण आपको जीवन भर सुरक्षा मिलेगी।
मायावती सरकार में रामवीर उपाध्याय को ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा मिली थी लेकिन मौजूदा समाजवादी पार्टी ने उनकी सुरक्षा वापस लेकर उनकी सुरक्षा में एक सशस्त्र सिपाही तैनात कर दिया। न्यायालय को बताया गया कि उपाध्याय पर कई बार हमले हो चुके हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है लेकिन राज्य में सरकार बदलने के साथ ही राजनीतिक विद्वेष के कारण उनकी सुरक्षा वापस ले ली गयी।

टीसी देने के लिए डीपीएस ने वसूला पैसा, अब भुगतेगा हर्जाना

नई दिल्ली। नगर के एक मशहूर पब्लिक स्कूल को उपभोक्ता फोरम ने एक छात्र को स्थानांतरण सर्टिफिकेट मुहैया करने के एवज में धन वसूलने के लिए 33650 रुपए हर्जाना देने का निर्देश दिया है जबकि दसवीं कक्षा के बाद उसने न तो नामांकन लिया था और न ही कक्षा में शामिल हुआ था ।
दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड ने सर्टिफिकेट देने के लिए 18650 रुपए की मांग की थी जिसे नई दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने औचित्यहीन करार दिया था। फोरम ने कहा कि स्कूल यह बताने में विफल रहा कि जब छात्र ने दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई जारी नहीं रखने का निर्णय किया तो उसने धन की मांग क्यों की। छात्र ने न तो ग्यारहवीं में नामांकन लिया और न ही कक्षा में शामिल हुआ।
सीके चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, डीपीएस मथुरा रोड यह बताने में विफल रहा कि उसने धन क्यों लिया जबकि छात्र ने न तो ग्यारहवीं में नामांकन लिया था और न ही ग्यारहवीं के किसी कक्षा में शामिल हुआ था। केवल स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पैसे लेने को हम औचित्यहीन मानते हैं। उन्होंने कहा, दूसरे पक्ष को दोषी मानते हुए हम इसे 18650 रुपए लौटाने और 15 हजार रुपए मुआवजा देने का निर्देश देते हैं।
छात्र के पिता सरफराज हुसैन की शिकायत पर फोरम का आदेश आया है। हुसैन ने कहा था कि चूंकि उनके बेटे को विज्ञान शाखा में नामांकन नहीं मिला इसलिए उन्होंने उसका दाखिला कहीं और कराने का निर्णय किया और स्थानांतरण सर्टिफिकेट की मांग की। हुसैन ने दावा किया कि स्कूल ने छात्र को सूचित किया कि 18650 रुपए जमा कराने पर ही स्थानांतरण सर्टिफिकेट मुहैया कराया जाएगा जिसका भुगतान कर दिया गया।

खुद पर रखें यकीन, साबित कर दिखाएं

लोगों को नहीं था मेरे टैलेंट पर भरोसा : माधुरी

मुंबई। अस्सी और नब्बे के दशक में दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली माधुरी दीक्षित का कहना है कि उनके कॅरियर की शुरूआत के दौरान लोग उन्हें हतोत्साहित करते थे कि वे बॉलीवुड में अपनी जगह नहीं बना पाएंगी।
माधुरी ने कहा, एक महिला होने के नाते आपको किसी न किसी मुश्किल से होकर गुजरना ही पड़ता है। जब मैंने बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की थी तो कई लोगों ने मुझसे कहा कि मैं इसे नहीं कर सकती, यह एक अच्छी जगह नहीं है, मैं इंडस्ट्री में अपनी जगह नहीं बना सकती। लेकिन उस समय मुझे खुद पर यकीन था। मैंने काम किया और सबके सामने यह साबित कर दिया कि मैं कर सकती हूं।
माधुरी ने कहा, जब आप चुनौती को स्वीकार करने के लिए खुद को लगा देते हैं तब आपको अपनी ताकत का अंदाजा होता है। वर्ष 1984 में फिल्म अबोध से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाली माधुरी को वर्ष 1988 में आई तेजाब से शोहरत मिली। इसके बाद इन्होंने राम लखन, बेटा, दिल, साजन, हम आपके हैं कौन और दिल तो पागल है जैसी हिट फिल्में दीं।
वर्ष 1999 में उन्होंने अमेरिका आधारित सर्जन श्रीराम नेने से विवाह कर लिया। इसके बाद वर्ष 2002 में संजय लीला भंसाली की देवदास की। इसके बाद उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लिया और फिर वर्ष 2007 में आदित्य चोपड़ा के होम प्रोडक्शन की आजा नचले से वापसी की। माधुरी अब नए निर्देशक सौमिक सेन की आगामी फिल्म गुलाबी गैंग में नजर आएंगी। इस फिल्म में उनके साथ जूही चावला, माही गिल, शिल्पा शुक्ला भी हैं। इसके अलावा वे विशाल भारद्वाज की डेढ़ इश्किया में नजर आएंगी।
अपनी फिल्म गुलाबी गैंग की मार्केटिंग के लिए तैयार अनुभव सिन्हा ने बिलीव नामक एक अभियान शुरू किया है, जिसमें भारतीय महिलाओं की जीत और उनकी कहानियों का जश्न मनाया जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत के लिए सिन्हा, माधुरी और जूही को साथ लेकर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया।
जूही ने कहा, हमारे पास ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो किसी कारण विशेष के लिए खड़ी हुईं और उन्होंने एक अलग ही कहानी बनाई। जब तक आप खुद पर जोर नहीं देते तब तक आपको अपनी क्षमताओं का अहसास नहीं होता।

Tuesday, June 4, 2013

रेल कर्मी बनने चाचा के घर चोरी

देवभोग। धवलपुर निवासी डिगेश्वरी और उसके उड़ीसा निवासी प्रेमी महेन्द्र कुमार को पुलिस ने चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है। डिगेश्वरी पर अपने चाचा के घर से 10 तोला सोना, चार किलो चांदी के जेवर सहित लगभग 35 हजार रुपए की चोरी करने का आरोप है। इसमें उसके प्रेमी ने भी पूरा सहयोग किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से चोरी का माल जब्त कर लिया है। यह चोरी 2 जून को हुई थी और पुलिस ने 24 घंटे में इसे हल कर दिखाया। आरोपियों के अनुसार उन्होंने नौकरी के लिए रिश्वत देने की खातिर यह चोरी की थी।
पुलिस के अनुसार घुमरगुड़ा निवासी हेम सिंह ठाकुर के घर का दरवाजा तोड़कर चोरों आलमारी में रखे 10 तोला सोना व चार किलों चांदी के जेवरात समेत 35 हजार नगद की चोरी कर ली गई थी। मंगलवार को देवभोग पुलिस ने प्रार्थी के घर मेहमान बनकर आई उसके चचेरी बहन डिगेश्वरी निवासी धवलपुर व उसके उड़ीसा निवासी प्रेमी महेन्द्र कुमार उर्फ मोंटु को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी महेन्द्र कुमार से चोरी के सारे जेवरात, दो मोबाइल एक एटीएम कार्ड भी जब्त किया है। दोनों आरोपी का आज मेडिकल चेकअप कराया गया है। कल सुबह न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
आरोपी महेन्द्र कुमार ने बताया कि भवानी पटना रेलवे स्टेशन पर उसकी नौकरी चतुर्थ श्रेणी में पक्की हो गई थी। स्टेशन मास्टर ने उसे सप्ताह भर के भीतर   ढाई लाख रुपए जुटाने कहा था। डिगेश्वरी को आरोपी ने इस बात को बताया था। प्रार्थी हेम सिंह के घर इन दोनों का आना जाना लगा था। डिगेश्वरी सप्ताह भर पहले से ही प्रार्थी के घर रह रही थी। उसे प्रार्थी के घर की सारी जानकारी थी।

कमिशन की सेटिंग से बच्चे जमीन पर


  • टीन टप्पर के फर्नीचर कबाड़खाने में
  • सीएसआईडीसी ने कराई करोड़ों की बर्बादी

छत्तीसगढ़ ने पिछले 8-10 सालों में तेजी से तरक्की की है। इस अवधि में सेटिंग मास्टरों ने खूब कमाई की है और लाल हो गए हैं। बात चाहे विवादित जमीनों की हो या फिर स्कूलों की सप्लाई की, हर जगह सेटिंग से वारे न्यारे हुए हैं। ताजा उदाहरण स्कूल फर्नीचरों का है।
जून का महीना शुरू हो गया है और जल्द ही स्कूल खुलने वाले हैं। अधिकांश स्कूलों में फर्नीचर के नाम पर टीन टप्पर का कबाड़ सजा हुआ है। हाईस्कूलों का भी हाल बुरा है। पिछले साल जुलाई अगस्त में स्कूल के प्रधानपाठकों से फर्नीचर की रिक्वायरमेंट मंगवाई गई थी। डीईओ कार्यालय के जरिए आंकड़े जुटाए गए थे। पर साल बीत गया फर्नीचर नहीं पहुंचे। सत्र आरंभ में कुछ फर्नीचर पहुंचा था जो जल्द ही कबाड़ में तब्दील हो गया।
फर्नीचर व्यवसाय से जुड़ लोग बताते हैं कि स्कूलों को फर्नीचर की आपूर्ति सीएसआईडीसी के जरिए होती है। जिनका वहां पंजीयन नहीं है उन्हें काम नहीं मिलता। वहां केवल सेटिंगबाजों की चलती है। सेटिंगबाज वहां से काम निकाल लाते हैं। इसमें बड़े पैमाने पर सेटिंग होती है। सीएसआईडीसी के अफसरों की मुट्ठी गर्म करने के बाद फर्नीचर बनाए जाते हैं। फिर हेडमास्टर से लेकर डीईओ तक को खुश करना पड़ता है। लगभग आधी रकम इसी में खर्च हो जाती है। थोड़ा मुनाफा अपने लिये रखते हुए बची खुची रकम से फर्नीचर बनाए जाते हैं।
लिहाजा ये फर्नीचर 18 के बजाय 22-24 गेज की शीटों से बनते हैं। इसपर वेल्डिंग भी टिकती नहीं। जरा सा धक्का लगा कि टांगे खुल जाती हैं। बैलेंस बिगड़ने के बाद फर्नीचर को स्टील स्क्वायर पाइपों में बंटते देर नहीं लगती।

स्कूलों की मुसीबत

एक बार फर्नीचर आ गया तो वहां टाट पट्टी का कोई काम नहीं रह जाता। दो चार महीने में आधे से अधिक फर्नीचर कबाड़ में तब्दील हो जाता है। समझ में नहीं आता कि आधे बच्चों को कुर्सी टेबल और आधे को दरी पर कैसे बैठाया जाए। लिहाजा पूरे फर्नीचर को बाहर कर दरी बिछाई जाती है। दरी का भी जुगाड़ बैठाना पड़ता है। स्थानीय नेताओं, समाजसेवियों और दानदाताओं से ही दरी का जुगाड़ लगाया जाता है। कुछ छात्राएं अपने साथ दरी घर से लेकर आती हैं। प्राचार्य के कमरे में भी विजिटर्स के लिए प्लास्टिक की मोल्डेड कुर्सियों का जुगाड़ करना पड़ता है।

बच्चों की मुसीबत

जब तक फर्नीचर पूरी तरह टूट नहीं जाते, उनका उपयोग किया जाता है। फर्नीचर टूटते हैं तो पहले   तो बच्चों को ही फर्नीचर तोड़ने के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। टूटे फूटे फर्नीचर में बैठने के कारण कपड़े तो फटते ही हैं कई बार जांघों, कमर, कोहनी पर खरोंचें भी लग जाती हैं। इन मुसीबतों से तो अच्छा है कि वे जमीन पर ही बैठ कर पढ़ाई करें। भले ही इससे लिखने की रफ्तार कुछ कम रहती है किन्तु इसकी कमोबेश उन्हें आदत पड़ चुकी होती है। कुछ कापी फर्श पर रखकर झुककर लिख पढ़ लेते हैं तो कुछ लोग कापियों को गोद में रखकर उसपर लिखना सीख गए हैं।

Monday, June 3, 2013

मलेशियाई भारतीयों में बढ़ रहा तलाक

मलेशिया में रह रहे भारतीय मूल के लोगों में तलाक के दर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और अगर यह स्थिति जारी रही तो डर है कि यह समुदाय सामाजिक समस्याओं का शिकार हो सकता है। प्रतिवर्ष अल्पसंख्यक भारतीय समुदाय में लगभग 5,000 लोग तलाक ले रहे हैं।
तमिल समाजिक समूह के एसवी लिंगम ने बताया के कुछ साल पहले तक इस समुदाय के जहां 200 व्यक्ति एक साल के दौरान तलाक लेते थे वहीं अब यह संख्या बढ़ कर 5,000 सालाना पहुंच गयी है। लिंगम के हवाले से एक स्थानीय तमिल समाचार पत्र मलेशिया स्टार ने बताया है कि आपसी समझ की कमी और दंपत्ति के बीच लेन-देन के रवैये से तलाक के मामलों में बढ़ोतरी हुयी है।
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पति की याद में आडिटोरियम बनवाएंगी कविता सेठ

फिल्म ‘बॉम्बे टॉकिज’ में ‘मुरब्बा’ गीत गाने वाली गायिका कविता सेठ अपने दिवंगत पति की याद में एक आडिटोरियम बनवाने जा रही हैं।
कविता ने कहा, ‘पति के नाम पर आडिटोरियम बनवाना मेरा सपना है। आडिटोरियम में एक ऐसा स्कूल बनवाने की भी मेरी इच्छा है जहां मन को सुकून देने वाले, आध्यात्मिक संगीत की शिक्षा दी जाए और जो सीखने में भी रोचक हो।’ इस सूफी कलाकार ने हिंदी सिनेमा में खुद को एक पार्श्वगायिका के तौर पर स्थापित किया और हाल में वे ‘लीजेंड्स आफ इंडिया’ नाम के कंसर्ट में हिस्सा लेने के लिए राजधानी दिल्ली में हैं। 15 दिसंबर 2011 को कविता के पति केके सेठ का निधन हो गया था, वे एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया में काम करते थे। कविता ने कहा, ‘मेरे पति को किसी भी तरह के दिल को छू लेने वाले गीत पसंद थे। उन्होंने एक गायिका के रूप में मेरे कैरियर को आगे बढ़ाने में बहुत मदद की। वे एक पति, पिता और मार्गदर्शक के रूप में सबकुछ थे।’
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अब नहीं होगी ट्रेनों में टक्कर

टीसीएएस प्रणाली का आरंभिक परीक्षण सफल

जम्मू। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनय मित्तल ने कहा कि दक्षिण मध्य रेलवे में ट्रेनों की टक्कर से बचने की प्रणाली (टीसीएएस) के प्रारंभिक क्षेत्रीय परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं। मित्तल ने कटरा में रेलवे के निर्माण कार्य का जायजा लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हम दक्षिण मध्य रेलवे में टीसीएएस के साथ प्रयोग कर रहे हैं। दक्षिण मध्य रेलवे में प्रारंभिक क्षेत्रीय परीक्षण सफल हुए।’
उन्होंने कहा, ‘यह जीपीएस आधारित प्रणाली है। हम 150 से 200 किलोमीटर की दूरी तक परीक्षण को बढ़ा रहे हैं।’ मित्तल के अनुसार, ‘हम एक सुरक्षात्मक चेतावनी प्रणाली पर भी विचार कर रहे हैं जो यूरोप आधारित है।’ उन्होंने बताया कि यह तकनीक सस्ती है।
उधर रेलवे के अधिकारी काजीगुंड-बनिहाल रेल मार्ग पर भी परीक्षण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री संभवत: 25 जून को इस रेल मार्ग को जनता को समर्पित करेंगे जो कश्मीर घाटी को बनिहाल शहर से जोड़ेगा।
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शादी से इंकार करने पर किशोरी को जिंदा जलाया

मध्यप्रदेश के अशोक नगर जिले मे चंदेरी थाने के अंतर्गत आने वाले जुगियाना मोहल्ले में शादी से इंकार करने वाली किशोरी को पड़ोसी युवक ने आग के हवाले कर दिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस घटना के समय लड़की घर पर अकेली थी। मौका पाकर पड़ोस में रहने वाला बीस वर्षीय आशु अहिरवार घर में घुस गया और लड़की पर शादी के लिए दबाव डालने लगा। लड़की द्वारा शादी से इंकार करने पर आशु ने उस पर केरोसिन छिड़ककर आग लगा दी और फिर फरार हो गया। सूत्रों के अनुसार, लड़की की चीख-पुकार सुनकर पड़ोसी वहां पहुंचे लेकिन तब तक आरोपी युवक फरार हो चुका था। पड़ोसियों ने पीड़िता के माता-पिता को सूचना दी। माता-पिता के वहां पहुंचने पर पीड़िता को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस ने आशु के खिलाफ धारा 307 के तहत मामला दर्ज करके उसकी तलाश शुरू कर दी है।
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फिनिशिंग स्कूल खोलेंगी ‘मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2013’

इंदौर। ‘मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2013’ का प्रतिष्ठित खिताब जीतने के बाद अमिता पीयूष मोटवानी अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को व्यक्तित्व विकास के गुर सिखाना चाहती हैं। अपनी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिये वह इंदौर और हैदराबाद में फिनिशिंग स्कूल खोलने की योजना पर काम कर रही हैं।
अमिता ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस फिनिशिंग स्कूल में सभी आयु वर्ग के लोगों की की जरूरतों के मुताबिक पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।’ अमेरिका के अटलांटा में 18 मई को ‘मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2013’ का खिताब अपने नाम करने वाली अमिता ने कहा, ‘मेरे पति और परिवार की मदद के बगैर मैं इस मुकाम पर नहीं पहुंच सकती थी। जब मेरे पति ने मुझे इस स्पर्धा की विजेता का ताज पहनाया, तो यह मेरी जिंदगी का बेहतरीन पल था।’ इंदौर निवासी अमिता अलग-अलग संस्थानों से बतौर मनावैज्ञानिक सलाहकार जुड़ी हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारत के पारंपरिक परिवारों से ताल्लुक रखने वाली ज्यादातर विवाहित महिलाओं के लिये ग्लैमर जगत की महत्वाकांक्षाएं रखना आज भी मुश्किल है। लेकिन अगर किसी महिला को उसके पति और परिवार का सहयोग मिलता है, तो उसके लिये ऐसी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना नामुमकिन भी नहीं है।’
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सतीश धवन के नाम पर फेलोशिप

बेंगलूर। अंतरिक्ष विभाग ने अमेरिका में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) के ग्रेजुएट एयरोस्पेस लेबोरेटरीज में प्रोफेसर सतीश धवन के सम्मान में फेलोशिप की स्थापना की गई है, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की प्रारंभिक अवधि 1972-1984 के दौरान इसके अध्यक्ष थे। इसरो ने कहा, फेलोशिप से हर साल इंडियन इंस्टीट्यूट आफ स्पेस साइंस एंड टैक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम के एयरोस्पेस विभाग के एक प्रतिभाशाली ग्रेजुएट छात्र को कालटैक में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल करने के बेहतरीन अवसर मिलेंगे।
प्रोफेसर धवन कैलटेक में ग्रेजुएट एयरोस्पेस लेबोरेटरीज के छात्र थे और 1951 में उन्होंने एयरोस्पेस में पीएचडी हासिल की थी। 1971-72 के दौरान कैलटेक में वह विजिटिंग प्रोफेसर भी थे।
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शिवराज ने कहा, मैं तीसरे नम्बर पर ही भला

मोदी ही नहीं रमन भी मेरे अग्रज

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद को पीएम कैंडीडेट की दौड़ से बाहर करते हुए कहा है कि वे फिलहाल तीसरे नम्बर पर ही खुश हैं। इस दौड़ में उनसे आगे सिर्फ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी आते हैं।
चौहान से सोमवार को यहां ‘मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना’ के दूसरे चरण की शुरुआत के लिए आयोजित समारोह के बाद कहा, ‘मोदी एवं रमन सिंह मुझसे वरिष्ठ नेता हैं और आडवाणी ने इन दोनों नेताओं की तारीफ करने के बाद ही उनका नाम लिया था।’ उन्होंने यह भी कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एवं आडवाणी, भाजपा के बहुत बड़े नेता हैं।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर में पार्टी के मतदान केन्द्र स्तर के पालक एवं संयोजकों के राज्यस्तरीय महाधिवेशन को संबोधित करते हुए आडवाणी ने भाजपा शासित प्रदेशों का जिक्र करते हुए कहा था कि जहां मोदी ने एक स्वस्थ राज्य को बेहतर विकसित राज्य बनाया। वहीं, चौहान ने बीमारू राज्य कहे जाने वाले मध्यप्रदेश को अग्रणी राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा किया है, जो सराहनीय है।
उन्होंने चौहान की तुलना वाजपेयी से करते हुए कहा था कि जिस प्रकार कई लोक कल्याणकारी योजनाओं को अमल में लाने के बावजूद उनमें कोई अहंकार नहीं था। इसी तरह चौहान में भी विनम्रता है और वह अहंकार से दूर रहकर सबसे मिलते-जुलते रहते हैं।
आडवाणी द्वारा की गई इस तुलना को देश के राजनीतिक विश्लेषकों ने प्रधानमंत्री पद के रूप में प्रोजेक्ट किए जाने की इच्छा रखने वाले मोदी का कद कम किए जाने के रूप में लिया और कहा कि यह मोदी के ‘विकास पुरुष’ के बतौर उपलब्धियों को भी कम करने का प्रयास था।
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महंत के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान एकबार फिर डा. चरणदास महंत को सौंप दी गई है। वे छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के इकलौते सांसद हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डा. महंत को प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किया है। इसके साथ ही पूर्व मंत्री भूपेश बघेल को प्रदेश समन्वयक की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। रमन सरकार के खिलाफ एक के बाद एक पर्यावरण से संबंधित मुकदमे कोर्ट में ठोंक कर बघेल ने प्रदेश भर में अपनी पहचान कायम रखी थी।
विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को इस बार बेहतर स्थिति में माना जा रहा था, लेकिन ऐन वक्त पर नक्सली हमले में पटेल सहित पूर्व विधायक दल नेता महेंद्र कर्मा और पूर्व विधायक उदय मुदिलयार के मारे जाने के कारण संगठन में शीर्षस्तर पर सूनापन आ गया था। ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश संगठन को चुस्तदुरुस्त रखने में आलाकमान ने इतनी चुस्ती दिखाई हो। केवल हफ्ते भर के अंदर ही महंत की ताजपोशी यह बताने के लिए काफी है कि पार्टी आलाकमान ने आगामी विस चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरने का इरादा किया है।
महंत इससे पहले भी प्रदेश संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे फिलहाल केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री हैं।
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Sunday, June 2, 2013

मुंगेर से सप्लाई हो रहे 9 एमएम पिस्टल

नई दिल्ली। बिहार के मुंगेर जिले में बने अवैध हथियार देश के कई हिस्सों और बांग्लादेश के आतंकी और अपराधिक गिरोहों के पास पहुंच रहे हैं। इस आशय की जानकारी अधिकारियों ने दी है।
आसानी से उपलब्ध होने और कम कीमत होने के कारण मुंगेर में बनी 9एमएम की पिस्तौल काफी पसंद की जा रही है और खरीदारों को काफी मात्र में आर्डर देने पर भारी छूट भी दी जाती है। इन्हीं सब बातों के कारण यहां बने हथियार देश के विभिन्न हिस्सों खासतौर पर महाराष्ट्र, दिल्ली और मध्य प्रदेश में आसानी से पहुंच रहे हैं।
यह हथियार 15,000 से 20,000 रुपए के बीच उपलब्ध हैं और इसके साथ एक मैगजिन मुफ्त दिया जाता है। मुंगेर में बने हथियारों की मांग कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और राष्ट्रीय राजधानी के आसपास के क्षेत्र के अलावा बांग्लादेश में काफी ज्यादा है।
दिल्ली पुलिस ने पिछले एक अगस्त को पुणे विस्फोट मामले को सुलझाया और इस सिलसिले में गिरफ्तार चार लोगों से मुंगेर में बनी पिस्तौल बरामद की। इसके बाद दिल्ली पुलिस के आयुक्त नीरज कुमार ने विशेष आयुक्त (अपराध शाखा) एस एन श्रीवास्तव से इस बारे में अध्ययन करने और इन हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगाने को कहा।
श्रीवास्तव ने कहा, मैंने मुंगेर पुलिस की मदद से इस बारे में अध्ययन करने का कार्य एक निरीक्षक को सौंपा था। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में अपराधिक और आतंकी गिरोहों से राष्ट्रीय राजधानी के आसपास के क्षेत्रों में 74 पिस्तौलें बरामद की गई।

19वीं सदी का अखिरी मर्द

जीरोमोन किमूरा धरती पर चल फिर रहे 19वीं सदी के अंतिम व्यक्ति हैं। उनका फंडा है पेट भरने से कुछ कम खाओ और ज्यादा से ज्यादा समय बिस्तर पर बिताओ। 51 साल पहले रिटायर हुए किमूरा ने चार राजाओं और 60 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा है।
किमूरा कहते हैं, चार राजाओं का राज देखा, 60 प्रधानमंत्री आए और चले गए, मगर मैं अभी तक हूं। काम करता था पहले, डाकिए का। मगर फिर 65 साल की उम्र में रिटायर हो गया। 51 साल पहले। मेरा नाम जिरोमोन किमूरा है। मैं धरती पर बचा 19वीं सदी का आखिरी मर्द हूं। मेरी उम्र 116 साल है।
अगर किमूरा राइटर होते, तो उनकी आत्मकथा कुछ ऐसी ही होती। पिछले दिनों बारबाडोस में 113 साल के जेम्स की मौत हो गई। इसके बाद स्पॉटलाइट फिर किमूरा पर ठिठक गई। दरअसल जेम्स की मौत के बाद किमूरा इकलौते ऐसे पुरुष बचे हैं, जिनका जन्म उन्नीसवीं सदी में हुआ. रिकॉर्ड के मुताबिक उनकी डेट आॅफ बर्थ 19 अप्रैल, 1897 है। 19वीं सदी में पैदा हुई 21 महिलाएं अभी जीवित हैं। मगर पुरुषों के नाम पर सिर्फ किमूरा बचे हैं। किमूरा दुनिया के सबसे उम्रदराज इंसान भी हैं।
17 दिसंबर को अमेरिकी महिला डीना की मौत के बाद ये रिकॉर्ड उनके नाम आया। जापान के क्योटो स्टेट के क्योटेंगो कस्बे में रहते हैं। उनकी देखभाल करती हैं उनके सबसे बड़े बेटे की विधवा, जो सिर्फ 83 साल की हैं। इस काम में मदद करती हैं, उनके पोते की विधवा, जो 59 साल की हैं। किमूरा से जब पूछा गया कि उनकी लंबी उम्र का राज क्या है, तो जवाब था कि खाना कम खाओ और बिस्तर पर खूब वक्त बिताओ। किमूरा ने कभी स्मोकिंग नहीं की। अल्कोहल भी कभी कभार ही दोस्तों के साथ लिया। और खाना हमेशा इतना खाया कि ये न कह सकें कि पेट भर गया।
यानी रिकॉर्ड के शीर्ष पर बैठे किमूरा के पास सब कुछ है। मगर फिर एक खतरा भी है। उन्हें नहीं, उनके रिकॉर्ड को। दरअसल चीन की एक महिला लुओ का दावा है कि इस सितंबर में 127 साल की हो जाएगी। वर्ल्ड रिकॉर्ड वाले उनके इस दावे की जांच में लगे हैं। लुओ के पास कोई बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है। सिर्फ एक सरकारी आईडी कार्ड है, जिसमें उनकी पैदाइश का साल 1885 लिखा है।
जिन लोगों ने 110 साल से ज्यादा का वक्त देखा है, उन्हें सुपर सेंटेनेरियंस कहते हैं। उनसे जुड़े आंकड़ों के सत्यापन में लगी रिसर्च कंपनी के मुताबिक 19 वीं सदी के जीवित लोग ज्यादातर अमेरिका या जापान के हैं। अनुमान है कि इस तरह के 200-300 लोग होंगे। मगर बर्थ रिकॉर्ड के जरिए वेरिफिकेशन अभी तक सिर्फ 60 लोगों का ही हो पाया है।
इसमें 115 साल से ज्यादा उम्र के दो लोग हैं और दोनों जापानी। एक तो किमूरा और एक हैं 115 साल की महिला, जिनका नाम है मिसाओ ओकावा।

भय, आतंक, हिंसा, अत्याचार और अहंकार की अंत्येष्टि

भिलाई। बोलबम समिति की महिलाओं ने रविवार को यहां माओवादी अतिवाद के भय, आतंक, हिंसा, अत्याचार और अहंकार को फांसी पर लटकाया। महिलाओं ने शवों को कंधा भी दिया और फिर बीच राजमार्ग उनका दाहसंस्कार भी किया।
इन पांच विकारों की पहले शवयात्रा निकाली गई। पुतलों को महिलाओं ने कंधा दिया तथा रैली की शक्ल में लेकर पावर हाउस आम्बेडकर चौक पहुंचीं। यहां फ्लाईओवर की रेलिंग से लटकाकर उन्हें सामूहिक मृत्युदंड दिया गया। इसके बाद शव रूपी पुतलों को जीईरोड पर रखकर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। इसके चलते कुछ समय तक यहां चक्का जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
प्रदर्शन में पिंकी पांडेय, प्रभा देवी, राधा सिंह, सरस्वती, लक्ष्मी, बबिता, पुष्पा, रश्मि, संतोष सिंह, जान बेंसन, अमित राव, प्रमोद सिंह, चंद्रिका आदि मौजूद थे।

Saturday, June 1, 2013

Chhattisgarh grabs Bronze, Saranjeet Man of the Tournament


Bhilai. Chhattisgarh Women Basketball team again proved its mettle by grabbing the Bronze in the 4th JEPPAIOR Trophy Basketball Tournament held a TEPPEION ENGINEERING COLLEGE, Chennai.
Chhattisgarh beat Kerala State Electricity Board for 3rd and 4th Place by 53-48 Points and got the Bronze.
Chhattisgarhs Saranjeet Kaur-26 pts, Poonam Chaturvedi-12 pts, Sangeeta Mandal-10 pts and Sangeeta Kaur-07 pts.
Chhattigarh Womens lost the Semi Final v/s Southern Railway, Chennai.
Chattisgarh Womens got the Bronze and a cash award of Rs. 50 thousand. Saranjett Kaur of the team was adjudged Man of the Tournament and given a Scooty. She proved herself to be the most valuable player of the tourney.
The Chhattisgarh team comprised of Aruna Kindo (Captain), Sangeeta Mandal, Pushpa Nishad, Poonam Chaturvedi, Saranjeet Kaur, Anjana Daisy Ekka, Sagarika Mahapatro, Sangeeta Kaur, Sangeeta Kaur, Sangeeta Das, Riya Verma, Nisha Netam, P. Divya. Coach Rajesh Patel, Asst. Coach Sukh Dev Singh and manager Palak Hirani.