Thursday, June 6, 2013

भूख से हर रोज मरते हैं 25 हजार बच्चे

प्रत्येक सात में एक व्यक्ति भूखा सोता है

कोरबा। विश्व में प्रतिवर्ष 1.3 बिलियन टन खाद्य पदार्थों का नुकसान हो रहा है। विश्व का एक तिहाई खाद्य उत्पादन समाप्त होने के कगार पर है। आज विश्व में एक ओर जहां प्रत्येक सात व्यक्ति में से एक व्यक्ति भूखा सोता है वहीं पिछले 5 वर्ष के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 20 से 25 हजार बच्चे भूख से मरते हैं।
यह खुलासा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा घंटाघर चौक में संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा घोषित थीम सोचो-खोओ-बचाओ अर्थात भोज्य पदार्थों की बरबादी से पहले सोचिए पर आधारित कार्यक्रम में हुआ। क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण अधिकारी आरपी शिन्दे ने संयुक्त राष्ट्र संघ एवं कृषि संगठन द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए उपरोक्त चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली और प्राकृतिक असंतुलन के लिए जिम्मेदार लोगों द्वारा खाद्य पदार्थों की बरबादी बेखौफ होकर की जा रही है जिसका परोक्ष बुरा प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के कहर से सबका मिला जुला प्रयास ही दुनिया को बचा सकता है। श्री शिन्दे ने बढ़ते जल, वायु, भूमि के साथ वाहन प्रदूषण की बढ़ती समस्या को रेखांकित करते हुए कहा कि इसे कम करने के लिए सार्वजनिक वाहनों का उपयोग बढ़ाना होगा। पॉलीथीन की लगातार बढ़ती खपत से भी पर्यावरण एवं मानव-पशु जीवन के लिए खतरा बढ़ने लगा है, इसलिए कपड़े अथवा कागज से बने बैग का अधिकाधिक उपयोग किया जाए। कार्यक्रम के दौरान आम जनता को बैनर एवं पाम्पलेट वितरण के माध्यम से खाद्य पदार्थों की बरबादी रोकने जागरूक किया गया। 

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