Thursday, June 6, 2013

नियम विरुद्ध है जस्टिस मिश्रा आयोग

बिलासपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि एवं सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन तिवारी ने डॉ. रमन सरकार द्वारा गठित जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग को उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देश व गाइड लाइन के विरूद्ध बताते हुए तत्काल इसे भंग कर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन करने की मांग की है।
श्री तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की सहमति के बिना जिला स्तर के अधिकारी इतनी गंभीर सुरक्षा चूक नहीं कर सकते। इस परिवर्तन यात्रा में जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त श्री कर्मा व श्री पटेल व वाई श्रेणी सुरक्षा प्राप्त पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री शुक्ल शामिल थे। हाई प्रोफाइल मुव्हमेंट के दरम्यान, स्टैण्डर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर नहीं अपनाया गया।
उन्होंने सरकार द्वारा एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन को भी आपराधिक षडयंत्र निरूपित किया है। श्री तिवारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर निर्देश व गाइड लाइन जारी किया है कि किसी भी उच्च न्यायालय के सिटिंग जज को जांच कमीशन का प्रमुख नहीं बनाया जा सकता फिर भी ऐसा करते हुए रमन सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दिया है कि वह घटना की सत्यता तक नहीं जाना चाहते तथा समय व्यतीत करने के लिए ड्रामा कर रहे हैं एवं जनता को भ्रमित करने का षडयंत्र कर रहे हैं।
श्री तिवारी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में पारित निर्णय 27 नवम्बर 2006 यूनिवर्सिटी आॅफ केरल विरूद्ध कौंसिल प्रिंसिपल कालेजेस केरल व अन्य में पूर्व के निर्णय टी फैन वाल्टर एवं अन्य बनाम भारत संघ में कठोरता से निषेध ठहराया गया है कि किसी भी राज्य के सिटिंग जज को किसी भी कमीशन का अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता।
इसी तरह से पटना उच्च न्यायालय के डिस्ट्रीक्ट बार एसोसिएशन भागलपुर बनाम बिहार राज्य 13 मई 2011 एलपीए क्र. 1334 आफ 2009 में यह निर्णय दिया है कि सीटिंग जज को कमीशन आफ इन्क्वायरी में नियुक्त नहीं किया जा सकता।
श्री तिवारी ने उड़ीसा के कलिंग नगर में पुलिस फायरिंग में मारे गए 12 अदिवासी एवं एक पुलिसकर्मी की मृत्यु के बाद उड़ीसा सरकार द्वारा फरवरी 2006 में गठित जस्टिस ए एस नायडू कमीशन को उद्धृत करते हुए बताया कि जस्टिस नायडू उड़ीसा उच्च न्यायालय के सीटिंग जज थे और उल्टे इस मामले की जांच कमीशन का अध्यक्ष बनाया गया था जस्टिस नायडू द्वारा 20 सिटिंग के बाद व 10 माह बाद कमीशन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने नियम दिया कि उच्च न्यायालय के सिटिंग जज इन्क्वायरी कमीशन के प्रमुख नियुक्त किये जा सकते हैं, बशर्ते वे संवैधानिक कार्य पर न हो। इन्क्वायरी कमीशन में सिटिंग जज के नियुक्ति के पूर्व उस जज से सहमति लेगी (लिखित में) कि वे जज की पोजीशन को छोड़ रहे हैं। श्री तिवारी ने बताया कि उन्हें जो जानकारी है, उनके मुताबिक जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने अभी तक पद त्याग नहीं किया है। 

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