Thursday, June 6, 2013

उच्च गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा की जरूरत : राष्ट्रपति

भोपाल। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि देश ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। लेकिन इसके बावजूद देश तेजी से बढ़ती मांग के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने में पीछे है।
राष्ट्रपति ने गुरुवार को यहां राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में कहा कि यही कारण है कि विश्व के लगभग 200 शीर्षस्थ विश्वविद्यालयों में भारत का कोई विश्वविद्यालय नहीं है। उन्होंने कहा कि छठवीं शताब्दी में तक्षशिला, नालंदा, वल्लभी तथा विक्रमशिला जैसे भारतीय विश्वविद्यालय दुनिया में अपना दबदबा बनाए हुए थे और विश्व के विभिन्न देशों के विद्यार्थी यहां विद्या अर्जन करने आते थे।
उन्होंने कहा कि तक्षशिला उस समय वैश्विक विश्वविद्यालय के रुप में प्रसिद्ध था जो भारतीय, पारसी, ग्रीक और चीनी सभ्यता की धुरी बना हुआ था और अपने कुशल प्रबंधन के लिये जाना जाता था। उन्होंने कहा कि देश के मेरिट में आने वाले छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी देश के अनेक भागों में उच्च शिक्षा के लिए संस्थान नहीं हैं, जिससे उन क्षेत्रों में रहने वाले अनेक छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। उच्च शिक्षण संस्थाओं में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों की कमी का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि जब तक इन शिक्षण संस्थाओं में खाली पदों को भरा नहीं जाता और शिक्षकों की क्षमता विकसित नहीं की जाती, तब तक गुणवत्ता में सुधार के हमारे प्रयास अधूरे ही रह जाएंगे।
दीक्षांत समारोह को मप्र के राज्यपाल रामनरेश यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री नारायण सामी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा तथा संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एसके अग्रवाल को डाक्टर आफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की गई।

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