Thursday, June 6, 2013

सीजन तो बीतने दो, बन जाएगी टीम भी

अमानक पानी बोतल और पाउच की धड़ल्ले से बिक्री

भिलाई। खाद्य एवं औषधि विभाग का रवैया भी अजीब है। गर्मियों का मौसम बीतने को है और विभाग के अधिकारी अब भी देखेंगे, करेंगे, होगा जैसी भाषा बोल रहे हैं। अंचल में बिक रहे अमानक पानी पाउच और बोतलों पर विभाग का जवाब है कि टीम बनेगी, सैंपल लेंगे, जांच भी करेंगे और कार्यवाही भी।
गौरतलब है कि ग्रीष्म में पाउच और बोतलों की बिक्री कई गुना बढ़ जाती है। अब पहले जैसे प्याऊ भी नहीं लगते इसलिए लगभग सभी लोग पानी खरीदकर पीने के लिए विवश हैं। पैक पानी में भी बदबू की शिकायत आम है। पानी में जाले और काई जैसी बू आने की शिकायत लोग करते रहते हैं। शिकायतें विभाग के पास भी पहुंचती हैं पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
किसी का भी नाम नहीं
ऐसे पानी पाउच की शहर में कोई कमी नहीं जिनपर न तो उत्पादक का नाम  है, न पैक करने वाले का, न तो इनपर बैच नम्बर है और न ही विक्रय मूल्य। इसकी शिकायतें भी हुई हैं पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती।
बदबू और जाला
लोगों ने बोतल बंद और पाउच पैक पानी में बदबू की शिकायत की है। यह बदबू अकसर काई की होती है। जानकार बताते हैं कि भूजल को मशीनों में फिल्टर कर पैक किए गए पाउच में काई की बदबू आनी ही नहीं चाहिए। यदि काई की बदबू है तो साफ जाहिर है कि न तो यह भूजल है और न ही मशीन द्वारा शोधित। यह निश्चय ही किसी तालाब या कुएं का पानी है।
पाउच में जानलेवा गंदगी
पानी पाउच आम तौर पर बोरों में भरकर बेचे जाते हैं। शादी ब्याह से लेकर मरनी धरनी तक में इसका उपयोग आम है। लोग ठेलों से भी पाउच पानी खरीदकर पीते हैं। मुक्तिधाम जाने वाले लोग भी एक-आध बोरा पाउच लेकर चलते हैं। पाउच को आम तौर पर लोग दांतों से ही काटते हैं और तत्काल पानी का फव्वारा छूटता है। इसमें पाउच के बाहर की गंदगी भी मुंह में चली जाती है।

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