Wednesday, June 5, 2013

फर्जी बिल्डरों की लगेगी वाट

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रीयल एस्टेट (रेगुलेशन और डेवलेपमेंट) विधेयक 2013 का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। अब इसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। अगर ये कानून बना तो बिल्डिंग प्रोजेक्ट के विज्ञापन से लेकर फ्लैट की चाभी आपको सौंपे जाने तक सरकार सभी चरणों पर नजर रखेगी।
किसी बिल्डर को अपने प्रोजेक्ट से संबंधित विज्ञापन में गलत जानकारी देने पर प्रोजेक्ट की कुल कीमत का करीब दस फीसदी तक जुर्माना वसूला जा सकता है। अगर बिल्डर ऐसा बार-बार करता है, तो उसे तीन साल तक जेल की सजा हो सकती है।

पूरी करें औपचारिकता

कानून के मुताबिक अब किसी बिल्डर को किसी परियोजना पर काम शुरू करने की इजाजत तभी मिलेगी, जब वो सभी औपचारिकताएं पूरी कर लेगा। उसे परियोजना से जुड़े कागजात भी सक्षम अधिकारी के पास जमा कराने होंगे।

सख़्त प्रावधान


  • बिल्डर को देनी होगी परियोजना की सभी जानकारी
  • गलत जानकारी देने पर लगेगा जुर्माना, होगी जेल
  • औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही शुरू होगा काम
  • संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है विधेयक
  • बिल्डर को बताना होगा कि उसकी परियोजना कब शुरू होगी और कब पूरी होगी। इसके अलावा उसे प्रमोटरों के परिचय पत्र, लेआउट प्लान, जमीन की स्थिति, कारपेट एरिया और बुक हुए अपार्टमेंट की तादाद जैसी बातें भी बतानी होंगी।
  • प्रोजेक्ट को एक बार मंजूरी मिलने के बाद बिल्डर उसमें कोई बदलाव नहीं कर पाएगा। देरी होने पर बिल्डर को फ्लैट के खरीदार को जुमार्ना देना होगा। अगर खरीदार चाहे तो वह बिल्डर से अपना पैसा वापस भी मांग सकता है।
  • काम शुरू करने से पहले बिल्डर को ये सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर डालनी होंगी।

इसके अलावा बिल्डरों के लिए यह जरूरी होगा कि वो कारपेट एरिया की घोषणा करें। अब तक बिल्डर सुपर एरिया के आधार पर ही उपभोक्ता से कीमत वसूला करते थे। सरकार का मानना है कि ये कानून अमल में आने के बाद घर खरीदने वालों को फायदा होगा।
अलग बैंक खाता : बिल्डरों के लिए यह प्रावधान भी है कि वो किसी प्रोजक्ट के लिए मिले धन का 70 फीसदी हिस्सा एक अलग बैंक खाते में रखेंगे। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि बिल्डर किसी प्रोजक्ट के लिए मिला पैसा किसी और प्रोजक्ट पर खर्च न कर पाएं। इसके अलावा विधेयक में एजेंटों को भी रेगुलेटरी अथॉरिटी के पास रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहने का प्रावधान है।
इस कानून के पालन के लिए राज्यों में संयुक्त सचिव के स्तर के अफसर की तैनाती की जाएगी और उसे अथॉरिटी की तरफ से नियुक्त किया जाएगा।
इस विधेयक में रीयल एस्टेट अपील ट्रिब्यूनल के गठन का भी प्रावधान है। यह ट्रिब्यूनल रेगुलेटरी अथॉरिटी या फैसला देने वाले अफसरों के आदेशों, फैसलों या निर्देशों पर सुनवाई करेगा।

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