Wednesday, June 5, 2013

9वीं एवं 11वीं कक्षा से शुरू होगी ओटीबीए

दिसम्बर में स्कूलों को मिलेगी सामग्री
तार्किक कौशल को बढ़ाना होगा उद्देश्य

नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मार्च 2014 में नौंवीं कक्षा में समेटिव परीक्षा एवं 11वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में खुली किताब पर आधारित मूल्यांकन (ओटीबीए) शुरू करने का निर्णय किया है।
सीबीएसई के अध्यक्ष विनीत जोशी ने कहा, यह ओपन बुक सिस्टम का ही एक स्वरूप है। इसके तहत स्कूलों को केस स्टडी दी जाएगी। इस केस स्टडी के आधार पर बच्चों से परीक्षा में प्रश्न पूछे जाएंगे। उन्होंने कहा, स्कूलों को पाठ्य सामग्री और केस स्टडी दिसंबर 2013 तक प्रदान कर दी जाएंगी। इसका मकसद पठन पाठन को उपयोगिता आधारित बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे विषयों का गहराई से अध्ययन करें।
उन्होंने कहा कि विषयों को रट कर परीक्षा देने की बजाए उनका विश्लेषण करके और तथ्यपरक और तार्किक कौशल को शिक्षा से जोड़ने के लिए 9वीं और 11वीं कक्षा में मार्च 2014 से ह्यओपेन टेक्स्ट बेस्ड एसेसमेंटह्ण (ओटीबीए) पेश करने की योजना बनाई गई है।
नौंवी कक्षा में मार्च 2014 में होने वाली समेटिव परीक्षा में सभी मुख्य विषयों में खुली किताब पर आधारित मूल्यांकन होगा। स्कूलों को परीक्षा से कुछ महीने पहले पाठ्य सामग्री दी जाएगी। पाठ्यसामग्री में केस स्टडी, डायग्राम, चित्र, कार्टून, समस्या या स्थिति पर आधारित पाठ्य सामग्री आदि शामिल होगी। इन पाठ्य सामग्रियों को पाठ्यक्रम के भीतर से ही लिया जाएगा।
ओटीबीए में हाई आर्डर थिंकिंग स्किल्स (हाट्स) से जुड़े प्रश्न भी होंगे और इसमें कुछ सब्जेक्टिव प्रश्न भी होंगे।
11वीं कक्षा में मार्च 2014 में होने वाली वार्षिक परीक्षा में अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान और भूगोल विषय में खुली किताब पर आधारित मूल्यांकन (ओटीबीए) पेश किया जायेगा।
(बॉक्स)
यह होगी पद्धति
स्कूलों को केस स्टडी, डायग्राम, कार्टून, समस्या या स्थितियों पर आधारित पाठ्य सामग्री के रूप में सामग्री उपलब्ध करायी जाएगी। ओपेन टेक्स्ट बेस्ड एसेसमेंट में हाई आर्डर थिंकिंग स्किल्स (हाट्स) से जुड़े प्रश्न भी होंगे और इसमें कुछ सब्जेक्वि प्रश्न भी होंगे।  बोर्ड ने स्कूलों से कहा है कि छात्रों को केस स्टडी का अध्ययन समूहों में करने को प्रोत्साहित किया जाए।
शिक्षकों की भूमिका बढ़ेगी
नई पद्धति में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी जो थ्योरी और उस विषय एवं पाठ्य सामग्री के उपयोग के बीच अंतर को पाटने का काम करेंगे। इससे छात्रों में विषयों के बारे में चर्चा करने, तार्किक ढंग से सोचने और पाठन पाठन में गहराई से हिस्सा लेने की प्रवृति को बढ़ावा मिलेगा।

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