Thursday, June 6, 2013

सफेद मूसली के नाम पर फर्जी ऋण

रायपुर। औषधीय पौधे सफेद मूसली की सफल खेती के लिए बैंक द्वारा ऋण लिया जाना एवं ऋण की अदायगी न करने की बयानबाजी को झूठा करार करते हुए वनौषधि कृषक राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें एवं अन्य कृषकों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। विगत 8-9 वर्षों से एकतरफा झूठी बयानबाजी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कृषकों के नाम अन्य लोगों ने ऋण लिया और ऋण चुकाया नहीं, जिसमें बैक की भी गहरी संलिप्तता है।
वनौषधि कृषक राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि बैंक ने कृषकों के नाम से हजारों करोड़ रुपए उद्योगें को बांटा। मुनाफे के बावजूद बैंक का ऋण वापस नहीं किया और न ही बैंक उनसे वसूल पाया। अब बैंक बयानबाजी कर रहा है कि वनऔषधि कृषि का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषकों को ऋण दिया। जिसकी अदायगी उन्होंने नहीं की। जबकि पूरे छग में सेंट्रल हर्बल एग्रो मार्केटिंग फेडरेशन के आंकलन के अनुसार लगभग 15 करोड़ रुपए का ऋण वनौषधि कृषि के नाम पर दिया गया जिसका 70 फीसदी भुगतान हो चुका है। उन्होंने कहा कि सफेद मूसली के किसान ठगी के शिकार हुए है जिसमें बैंकों की भी गहरी संलिप्तता रही है। वनौषधि किसानों के नाम पर ऋण लेकर हड़पने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अंतत: इन ठगी के शिकार अधिकांश किसानों की कृषि भूमि नीलाम कर दी गई, केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा घोषित तथा कथित अनुदान आज तक अनेक किसानों को अप्राप्त है।

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