Thursday, June 6, 2013

अन्य राज्य से डिप्लोमा वाले शिक्षक की नियुक्ति जायज

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने अकोला जिला परिषद के शिक्षा अधिकारी का वह आदेश दरकिनार कर दिया है जिसमें उन्होंने एक शिक्षक की नियुक्ति की अनुमति देने से इस आधार पर इंकार कर दिया था कि वह महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना के मुताबिक योग्य नहीं है।
गोविंद महाले नामक इस शिक्षक ने उच्च न्यायालय में एक यचिका दाखिल कर यह व्यवस्था देने की मांग की थी कि शिक्षा अधिकारी का उसकी नियुक्ति को मंजूरी नहीं देने का आठ अक्तूबर 1996 का आदेश कानून के मुताबिक उचित नहीं था और इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। इस शिक्षक ने अपनी नौकरी बचाए रखने के लिए भी गुहार लगाई थी। उच्च न्यायालय ने 31 मार्च 1998 को इस मामले में नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी थी जिससे वह अभी भी नौकरी कर रहा है ।
याचिकाकर्ता के वकील पी बी पाटिल ने 31 मई 1993 के एक सरकारी प्रस्ताव और उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के फैसले का संदर्भ यह बताने के लिए दिया कि शिक्षक नियुक्ति के लिए योग्य है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने 16 जुलाई 1991 को मध्यप्रदेश के सागर विश्वविद्यालय द्वारा संचालित ‘शिक्षण में डिप्लोमा’ में प्रवेश लिया ओर 30 अप्रैल 1993 को पाठ्यक्रम पूरा कर लिया जबकि सरकारी प्रस्ताव 31 मई 1993 को जारी हुआ था।
वकील ने यह भी कहा कि शिक्षक ने जो ‘शिक्षण में डिप्लोमा’ पेश किया है उसे महाराष्ट्र के किसी भी संस्थान द्वारा दिए गए डिप्लोमा के समकक्ष समझना चाहिए। वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति की अनुमति न देने का आदेश उचित नहीं है लिहाजा  इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी प्रस्ताव जब जारी हुआ था तब याचिकाकर्ता नौकरी करने लगा था और पूर्व के आदेश के आलोक में उसकी नियुक्ति सुरक्षित रखी जाती है।
सहायक सरकारी वकील के जोशी ने कहा कि 16 दिसंबर 2010 के सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक याचिकाकर्ता के नौकरी में बने रहने के हक पर विचार किया जाना चाहिए। न्यायमूर्तियों पी बी धर्माधिकारी और ए बी चौधरी ने कहा ‘हमने पाया कि याचिकाकर्ता ने सागर विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया और उसे 31 मई 1996 से पहले पूरा कर लिया।’
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का मामला 31 मई 1993 के सरकारी प्रस्ताव के दायरे में आता है और खंडपीठ की व्यवस्था के आलोक में आठ अक्तूबर 1996 के आदेश को रद्द किया जाता है।
शिक्षा अधिकारी ने आठ अक्तूबर 1996 के आदेश में शिक्षक की नियुक्ति को इस आधार पर मंजूरी देने से मना कर दिया था कि वह महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, योग्य नहीं है।

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