Wednesday, June 5, 2013

‘वाई’ या ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा के लिए पूर्व मंत्री होना काफी नहीं

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश से बहुजन समाज पार्टी के एक नेता की सुरक्षा की गुहार ठुकराते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पूर्व मंत्री होने के आधार पर कोई व्यक्ति ‘वाई’ या ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा का हकदार नहीं हो सकता है।
न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुए कहा, यदि नियमों के तहत आप सुरक्षा पाने के हकदार नहीं हैं तो आपको सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। सरकारी खर्च पर ऐसा नहीं हो सकता है। न्यायाधीशों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ रामवीर उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने बसपा नेता को अंतरिम राहत देने के बजाये उनकी याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायाधीशों ने विशेष अनुमति याचिका को समय से पहले करार देते हुए कहा कि यह विचार करने योग्य नहीं है। रामवीर उपाध्याय उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार में मंत्री थे लेकिन प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्तारूढ़ होने के बाद उनकी सुरक्षा वापस ले ली गयी थी।
न्यायालय ने कहा कि यदि पूर्व मंत्री को किसी प्रकार के खतरे की आशंका है तो उन्हें अपने खर्च पर निजी सुरक्षा व्यवस्था करने का अधिकार है। न्यायाधीशों ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के दौरान अंतरिम राहत के लिए बसपा नेता उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष मामला ले जाने के लिये स्वतंत्र हैं और अदालत सुरक्षा को खतरे के आकलन के लिए अधिकृत समिति की रिपोर्ट के आधार पर उसकी याचिका पर विचार कर सकती है।
न्यायाधीशों ने कहा कि पहली नजर में वे बसपा नेता के लिये ‘एक्स’ या ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने की दलीलों से सहमत नहीं है और वैसे भी राज्य सरकार, केन्द्र सरकार, गुप्तचर ब्यूरो या संबंधित प्राधिकारी को ही सुरक्षा को खतरे का आकलन करना है। न्यायाधीशों ने कहा, हमारा अनुभव है, सुरक्षा को गंभीर खतरा होने के बावजूद हमने तो सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल से ही ‘एक्स’ या ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा देखी है। यह बड़ी विचित्र बात है कि पूर्व सांसद या विधायक होने के कारण आपको जीवन भर सुरक्षा मिलेगी।
मायावती सरकार में रामवीर उपाध्याय को ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा मिली थी लेकिन मौजूदा समाजवादी पार्टी ने उनकी सुरक्षा वापस लेकर उनकी सुरक्षा में एक सशस्त्र सिपाही तैनात कर दिया। न्यायालय को बताया गया कि उपाध्याय पर कई बार हमले हो चुके हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है लेकिन राज्य में सरकार बदलने के साथ ही राजनीतिक विद्वेष के कारण उनकी सुरक्षा वापस ले ली गयी।

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